भारत की भूमि संतों और देवताओं की भूमि के रूप में जानी जाती है. यहां विभिन्न प्रकार की खोज एवं आविष्कार हुए है. प्राचीन काल में, कई ऋषियों ने कठिन तपस्या करने के पश्चात् 1,000 सालों से भी पुराने वेदों में छुपे रहस्य को पहचाना था. इन आविष्कारों को बाद में आधुनिक विज्ञान के रूप में जाना जाने लगा. यहाँ तक कि कुछ साधु संत ऐसे अद्भुत आविष्कारों के साथ सामने आए कि उस समय के राजा भी दंग रह गए थे. प्राचीन सभ्यताओं के विकास के दौरान, प्राचीन तकनीक उस काल में इंजीनियरिंग में अविश्वसनीय प्रगति का परिणाम थी. प्रौद्योगिकी के इतिहास ने तत्कालीन समाज को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वह नए विकास के तरीकों को अपनाए.
भारतीय ऋषियों ने घोर तप के जरिए वेदों में छिपे गूढ़ ज्ञान से कुदरत के कई रहस्यों की खोज सदियों पहले ही कर ली थी. हालांकि, कई प्राचीन आविष्कार इतिहास के पन्नों में खो गए, परन्तु इस लेख के माध्यम से ऐसे अविष्कारों पर नज़र डालेंगे जो प्राचीन तकनीकी और हमारे प्राचीन ऋषियों की खोज की प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, जिन्हें आधुनिक विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है.
7 वैज्ञानिक अविष्कार जो हजारों साल पहले भारतीय ऋषियों द्वारा किए गए थे
1. परमाणु सिद्धांत (Atomic theory) की खोज 2600 साल पहले ही हो गई थी
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जॉन डाल्टन, अंग्रेजी भौतिक एवं रसायन विज्ञानी जिन्हें परमाणु सिद्धांत के विकास का श्रेय दिया जाता है. हालांकि, परमाणुओं का सिद्धांत वास्तव में एक भारतीय ऋषि और दार्शनिक डाल्टन से 2,600 वर्ष पहले ही तैयार किया गया था, आचार्य कणाद के द्वारा. आचार्य कणाद का जन्म गुजरात के प्रभाकर क्षेत्र (द्वारका के पास) 600 ई.पू. में हुआ था. उनका असली नाम कश्यप था. कणाद ने ही इस विचार को जन्म दिया था कि अणु (परमाणु) पदार्थ का अविनाशी कण है. उन्होंने यह भी कहा कि अणु के दो चरण हो सकते हैं - पूर्ण विरामावस्था एवं गति की अवस्था. आचार्य कणाद वैश्यशिक दर्शन के संस्थापक थे.
2. वायु विज्ञान की खोज भी ऋग्वेद के समय में ही हो गई थी
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ऋषि कण्व ऋषि अंगिरस के वंशज थे और एक महान ऋषि भी थे. जब शकुंतला के मां और पिता (ऋषि विश्वामित्र) ने छोड़ दिया था तब ऋषि कण्व उनकी देखभाल करते थे. शकुंतला का पुत्र भरत का भी लालन पालन उनके द्वारा ही किया गया था. वायु विज्ञान ऋषि कण्व द्वारा ऋग्वेद खंड 8/41/6 में भगवान के जगती मीटर में समझाया गया है. ऋषि कश्यप ने ऋग्वेद 9/64/26 में इस पदार्थ के गुणों का वर्णन किया है.
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3. गुरूत्वाकर्षण नियम (Newtons Law) की खोज न्यूटन से 1200 साल पहले ही हो गई थी
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ये हम सब जानते है कि धरती के आकर्षण बल के कारण ही वस्तुएं प्रथ्वी पर गिरती है जिसे गुरूत्वाकर्षण का नियम कहते है. इस नियम का वर्णन 400-500 ई में ग्रंथ सिद्धांतशिरोमणि में एक प्राचीन खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य द्वारा किया गया है. इसमें लिखा है कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है और इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है. लगभग 1200 साल बाद न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण नियम की खोज की.
4. मिसाइल प्रणाली की खोज हजारों साल पहले ही हो गई थी
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महर्षि विश्वामित्र जन्म से ब्राह्मण नहीं थे, वह क्षत्रिय थे. ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद से वे तपस्वी हो गए थे. अपने तप और ज्ञान के कारण उन्हें महर्षि की उपाधि मिली और साथ ही चारों वेदों और ओमकार का ज्ञान प्राप्त हुआ. उन्होंने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई. विश्वामित्र ने ही प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले खोजी थी. यह पहले ऐसे ऋषि थे जिन्होंने गायत्री मन्त्र को समझा. ऐसा कहा जाता है कि केवल 24 गुरु हैं जो गायत्री मन्त्र को जानते हैं और उनमें सबसे पहले महर्षि विश्वामित्र थे.
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5. 2600 साल पहले ही शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी की खोज हो गई थी
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शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) महर्षि सुश्रुत माने जाते हैं. वे ऑपरेशन करने में निपुण थे. सुश्रुतसंहिता ग्रंथ महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखा गया है जिसमें शल्य चिकित्सा के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम जैसे कि सुई, चाकू व चिमटे तकरीबन 125 से भी ज्यादा उपकरण और 300 तरह की शल्यक्रियाओं या ऑपरेशन व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी दी गई है. जबकि देखा जाए तो ऑपरेशन या शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही कि गई है. ऐसा कहा जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी ऑपरेशन करने में माहिर थे. यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्य चिकित्सा भी करते थे.
6. वायुयान का आविष्कार कई सदियों पहले ही हो गया था
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1875 में, विमानशास्त्र, चौथी शताब्दी ईसा पूर्व महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित पाठ, भारत के एक मंदिर में खोजा गया था. इसमें विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के बारे में जानकारी दी गई है. अर्थात प्राचीन वीमानों के संचालन, स्टीयरिंग, लंबी उड़ानों के लिए सावधानी, तूफान और बिजली से एयरशिप की सुरक्षा से संबंधित खोज का विवरण इस किताब में मिलता है. इसलिए धर्म ग्रंथों के अनुसार ऋषि भरद्वाज को वायुयान का आविष्कारक माना जाता है. जबकि आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया था.
7. नक्षत्रों की खोज भी पहले ही हो चुकी थी
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नक्षत्रों की खोज गर्गमुनि ने की थी. श्रीकृष्ण और अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर गर्गमुनि ने जो कुछ भी बताया वह सही साबित हुआ था. कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक होगा भी ऋषि गर्गमुनि पहले बता चुके थे तिथि-नक्षत्रों कि स्थिति को देखकर क्योंकि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी और दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी. पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था.
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