जानें हीरा क्यों चमकता है?

Oct 23, 2019, 11:02 IST

हीरा है सदा के लिए! इसका मतलब है कि हीरे की चमक सदा के लिए एक जैसी बनी रहती है. यह पारदर्शी रत्न और कार्बन का शुद्धतम रूप होता है. सबसे ठोस होने के कारण यह पदार्थ चमकता है. इसके अन्दर प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़े होते है. इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि हीरा क्यों ठोस होता है और क्यों चमकता है, कौन सा गुण होने के कारण यह चमकदार आदि बनाता है?

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हीरा यानी डायमंड कार्बन का एक एलोट्रोप (allotrope) है, ये पारदर्शी है और सबसे कठोर पदार्थों में से एक है. यह प्रकृति में क्रिस्टल रूप में पाया जाता है और इसके अन्दर प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सह-संयोजी बन्ध (covalent bonds) द्वारा जुड़े रहते है. लेकिन हीरा क्यों चमकता है और क्यों कठोर होता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
हीरा एक ऐसा पारदर्शी रत्न है जो कि कार्बन का शुद्धतम रूप है. मूलतः तीन कारणों से हीरे में चमक होती है:
1. कुल आंतरिक परावर्तन (total internal reflection)
2. अपवर्तन (refraction)
3. विक्षेपण (dispersion)
लेकिन सवाल यह उठता है कि ये सब व्यवस्था कैसे काम करती हैं और हीरे को कैसे चमकदार बनाती है.
परावर्तन (Reflection) क्या होता है
परावर्तन तब होता है जब किसी चमकीली सतह पर प्रकाश पड़ता है तो उसका कुछ भाग सतह से टकराकर उसी माध्यम में वापस चला जाता है. जब हीरे में प्रकाश प्रवेश करता है तो उसका एक हिस्सा परिलक्षित होता है और बाकी इसके माध्यम से गुजर जाता है.
हीरे में अपवर्तन (Refraction) के कारण क्या होता है
जैसा कि हम जानते हैं कि किसी भी पारदर्शी पदार्थ में एक अपवर्तक सूचकांक (refractive index) और एक क्रांतिक कोण (critical angle) होता है, जहां प्रकाश पूरी तरह से सतह पर परिलक्षित होता है. इसी के कारण, हीरे को क्रांतिक कोणों के साथ काटा जाता है. तकनीकों के इस्तेमाल से हीरा काटने के बाद यह प्रकाश को प्रतिबिंबित (reflect) करता है ताकि हीरे में चमक रहें. इसे ऐसा भी समझा जा सकता है कि हीरे का अपवर्तनांक (refractive index) 2.47 होता है.

हीरे को इस प्रकार काटकर बनाया जाता है कि जब कोई प्रकाश की किरणें इसमें प्रवेश करती हैं तो इसके क्रांतिक कोण (critical angle) कम होने के कारण इसमें प्रकाश का पूर्ण परिवर्तन होता है जिससे हीरा ज्यादा चमकदार दिखाई देता है.
जब हीरे के माध्यम से प्रकाश की आवाजाही होती है तो, कभी-कभी यह प्रकाश बिखर जाता है और खंडित हो जाता हैं, जिससे हीरा चमकता है. यह अपवर्तन के कारण होता है.

इसे निम्नानुसार समझाया जा सकता है: हम जानते हैं कि हीरे छोटे, जटिल प्रिज्म हैं जिसमें प्रकाश उपरी हिस्से के माध्यम से प्रवेश करता है और अन्दर से इसको एक क्रांतिक कोण पर काटता है. जिसके कारण इंद्रधनुष के भाति प्रकाश का फैलाव होता है और इसे चमकता हुआ बनाता है. यानी हीरे का चमकना निर्भर करता है कि प्रकाश हीरे के कौन से हिस्से से गुजरता है, अपवर्तन, विक्षेपण होता है और कुछ अंधेरे क्षेत्रों (dark areas) का निर्माण होता है.

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Source: www. qph.ec.quoracdn.net.com
क्या आप जानते हैं कि इन अंधेरे क्षेत्रों के कारण ही हीरे में प्रतिभा होती है की वह चमकता है? अंधेरे में प्रकाश की तीव्रता बढ़ जाती है, जिस प्रकार किसी प्रकाश वाले कमरे की तुलना में मोमबत्ती की लौ एक अंधेरे कमरे में उज्ज्वल दिखाई देती है. एक अन्य महत्वपूर्ण विशेषता हीरे में विभिन्न प्रकार के कट या डिज़ाइन होते है. यदि आकृति को बहुत गहरा या बहुत उथला बनाया जाए, तो जब प्रकाश हीरे में प्रवेश करेगा तो इसी में खो जाएगा, नाकि इससे पास होगा. अपवर्तन के लिए क्रांतिक कोण का होना अनिवार्य होता है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि हीरे का आकार उसकी चमक को निर्धारित करता है. हीरे का त्रिकोणी डिजाईन हीरे की प्रतिभा को बढ़ाता है.
हीरे में समरूपता और स्पष्टता होना भी अनिवार्य है
हीरे में कट के साथ समरूपता को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण होता है, जिससे कि उसमें इष्टतम चमक रहती है. हीरे का आकार सभी कोणों में समान रहना चाहिए. यदि समरूपता उचित नहीं है तो प्रकाश का अपवर्तन ठीक से नहीं होगा.
दूसरी तरफ हीरे में स्पष्टता का होना भी अनिवार्य है जो कि हीरे की चमक को प्रभावित करता है. अगर हीरे की सतह पर किसी प्रकार का दाग हो तो प्रकाश सही से प्रवेश नहीं कर पाएगा. जिसके कारण अपवर्तन सही से नहीं होगा. अगर हीरे में स्पष्टता अच्छी होगी तो यह अधिक प्रतिभाशाली होगा.

हीरे को सही प्रकार से काटने और आकार देने के बाद उसे ठीक से पॉलिश करना भी जरूरी होता है. पोलिश से हीरे की प्रतिभा पर स्थायी प्रभाव पड़ता है. अगर हीरा बनाने में किसी भी प्रकार की त्रुटी रह जाती है तो उसे पॉलिश के जरिये खत्म किया जा सकता है.
क्या आप जानते हैं कि हीरा ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालक होता है
हीरा ऊष्मा तथा विद्युत का कुचालक इसलिए होता है क्योंकि सह-संयोजी बन्ध होने के कारण इसमें एक भी इलेक्ट्रोन स्वतंत्र नहीं होते है. प्रथ्वी पर पाए जाने वाले सभी पदार्थों में हीरा सबसे ज्यादा मजबूत और कठोर होता है इसलिए बहुत कठोर चट्टानों को काटने के लिए लोहे के बजाय हीरे की आरी का प्रयोग किया जाता है.
हीरे के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
हीरे विभिन्न रंगों में मिलते है जैसे सफेद, नीला, लाल, संतरा, पीला, हरा आदि. हीरे को यदि ओवन में 763 डिग्री सेल्सियस पर गरम किया जाये, तो यह जलकर कार्बन डाइ-ऑक्साइड (carbon dioxide) बना लेता है और बिलकुल भी राख नहीं बचती है. इससे यह पता चलता है कि हीरा कार्बन का शुद्ध रूप है.

उपरोक्त लेख से ज्ञात होता है कि हीरा चमकदार और कठोर क्यों होता है. यह आभूषणों में सबसे खूबसूरत रत्न है. हीरे में कटाई, सही आकर,क्रांतिक कोण,पोलिश आदि  इसे और अधिक शानदार बनाते हैं.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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