महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार और भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया है?

Feb 14, 2020, 11:01 IST

जब कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी में कुछ अविश्वसनीय और मानव कल्याण के काम करता है तो उसके कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए, उसे विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है. ऐसी ही पुरस्कारों में नोबेल पुरस्कार और भारत रत्न पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिए जाते हैं जिन्होंने कुछ असाधारण कार्य किया होता है या फिर मानव कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर दिया होता है. लेकिन ये दोनों ही पुरस्कार गाँधी जी को क्यों नहीं दिए गये हैं?आइये कारण जानते हैं.

Gandhi ji and Nobel and Bharat Ratna Award
Gandhi ji and Nobel and Bharat Ratna Award

नोबेल शांति पुरस्कार उस व्यक्ति / संगठन को दिया जाता है जो दुनिया भर में शांति बहाली में उत्कृष्ट योगदान को बढ़ावा देता है. नोबेल शांति पुरस्कार उद्योगपति और डायनामाइट के आविष्कारक यानी अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के अनुसार स्थापित 5 नोबेल पुरस्कारों में से एक है. हालाँकि अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार को मिलाकर कुल 6 क्षेत्रों में दिया जाता है.
पहला नोबेल शांति पुरस्कार 117 साल पहले (10 दिसंबर 1901) जीन हेनरी डुनेंट और फ्रैडरिक पासी को दिया गया था. 

अब तक 1901 से 2019 के बीच 134 नोबेल पुरस्कार विजेताओं (107 व्यक्तियों और 27 संगठनों) को 100 बार नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है.

लेकिन सवाल यह उठता है कि महात्मा गांधी को आज तक यह पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया? (Why no Nobel Peace Prize  to Gandhi ji)

महात्मा गांधी को 1937, 1938, 1939 और 1947 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण गाँधी जी का दावा इस पुरस्कार के लिए बहुत मजबूत हो चुका था. उन्हें 1948 में फिर से नामांकित किया गया था और यह निश्चित था कि उन्हें इस बार नोबेल शांति पुरस्कार मिलेगा. लेकिन नोबेल पुरस्कार की घोषणा के कुछ दिन पहले महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी थी.

दरअसल नॉर्वेजियन नोबेल समिति के नियम के अनुसार ‘नोबेल पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिया जाता है.’ हालांकि, अगर किसी व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है और वह इसे प्राप्त करने से पहले मर जाता है, तब भी उसे पुरस्कार दिया जा सकता है.

gandhi-shot-dead

नोबेल समिति का यह भी नियम है कि तीन से अधिक व्यक्तियों के बीच एक नोबेल पुरस्कार साझा नहीं किया जा सकता है, हालांकि 3 से अधिक लोगों के संगठनों को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जा सकता है.

गाँधी जी की मृत्यु के बाद नोबेल कमेटी ने सार्वजनिक रूप यह कहा था कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं की सूची में गाँधी जी का नाम ना होने से समिति को दुःख हुआ है. यही कारण है कि वर्ष 1948 में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने किसी को भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया था. यह गाँधी जी के प्रति नोबेल समिति का सम्मान था.

नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं की सूची में गाँधी जी का नाम ना होने से नोबेल समिति काफी दुखी थी और जब वर्ष 1989 में; जब दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तो नोबेल समिति के अध्यक्ष ने कहा कि दलाई लामा को यह पुरस्कार "महात्मा गांधी की याद में श्रद्धांजलि" है, क्योंकि दोनों ही महात्मा हैं.

वर्ष 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार; ‘अबी अहमद अली' को दिया गया है. उन्होंने शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के प्रयासों दिशा में काम किया था, विशेष रूप से ‘इरिट्रिया’ के साथ सीमा संघर्ष को हल करने में अहम् भूमिका निभाने के लिए.

nobel-peace-prize-2019

गांधी जी को भारत रत्न से सम्मानित क्यों नहीं किया गया है? (Why no Bharat Ratna to Gandhi ji)
जैसा कि हम जानते हैं कि गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी. वर्ष 1948 में उनकी हत्या कर दी गई और भारत रत्न की शुरुआत 1954 में हुई थी. इसलिए इस तरह गांधी को भारत रत्न देना किसी पीएचडी धारक को नवगठित दसवीं कक्षा का प्रमाणपत्र देने के समान है. (यह सिर्फ एक मान्यता है).

यहाँ पर इस बात का उल्लेख जरूरी है कि गाँधी जी को भारत रत्न दिलाने के लिए बहुत सी जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं.

विशेष राज्य का दर्जा किस आधार पर दिया जाता है और इसमें क्या सुविधाएँ मिलती हैं?

ऐसी ही याचिका 26 अक्टूबर  2012 में कर्नाटक के रहने वाले मंजुनाथ ने दाखिल की थी. मंजुनाथ ने याचिका में कहा कि माननीय हाई कोर्ट; गृह मंत्रलय को यह आदेश दे कि गाँधी जी को उनके योगदान के लिए भारत रत्ना दिया जाये. 

इसी तरह की कई याचिकाओं के जवाब में कोर्ट ने 27 जनवरी 2014 को कहा कि इससे पहले भी कई याचिकाएं कोर्ट को मिल चुकी हैं और उसने उन सभी को गृह मंत्रालय को भेज दिया है. यह मामला कोर्ट के न्यायाधिकार में नहीं आता है.

एक खंडपीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी.एच.वाघेला और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरथना शामिल थे, उन्होंने अपने निर्णय में कहा कि हो सकता है कि गृह मंत्रालय को लगता हो कि गाँधी को सचिन तेंदुलकर के स्तर पर लाना ठीक नहीं है. यद्यपि सचिन भी महान खिलाड़ी है लेकिन दोनों के कार्यों में बहुत बड़ा अंतर है.

sachin-bharat-ratna

गाँधी जे देश के लिए जो किया उसके लिए देश का कोई भी पुरस्कार छोटा पड़ेगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि भारत रत्न; गाँधी की तुलना में कई साधारण लोगों को भी दिया जा चुका है इसलिए महात्मा गांधी को भारत रत्न देना उन्हें और उनके राष्ट्र के लिए योगदान को कम करने जैसा होगा. अतः आप सचिन तेंदुलकर और गाँधी जी को एक ही पोडियम कर खड़ा नहीं कर सकते हैं.

कोर्ट ने दलील दी कि गांधी जी और उनके कर्म अमर हैं. भारत रत्न या कोई भी पुरस्कार उनके स्टेटस को नुकसान पहुंचा सकता है.

इसलिए उपरोक्त व्याख्या के आधार पर यह कहा जा सकता है कि गांधी जी को नोबेल शांति पुरस्कार इसीलिए नहीं दिया गया है क्योंकि यह पुरस्कार केवल जीवित व्यक्तियों को दिया जाता है और भारत रत्न गांधी जी के कद के बराबर नहीं है. (हालांकि यह सिर्फ एक धारणा हो सकती है. लेखक यहाँ पर भारत रत्न के महत्व को कम करके नहीं आंकना चाहता है.)

नोबेल पुरस्कार क्यों शुरू किये गए थे?

OPEC क्यों छोड़ रहे हैं सदस्य देश?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News