Death Valley: आपने दुनिया में कई अनोखी जगहों के बारे में सुना होगा, जहां अनोखी-अनोखी घटनाएं घटित होती रहती हैं। लेकिन, क्या आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है, जहां हर साल पत्थर खुद ही खिसकते हैं और यह पत्थर सिर्फ कुछ मीटर तक नहीं बल्कि लंबी-लंबी दूरी तक तय कर लेते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित डैथी वैली यानि मौत की घाटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां किसी भी इंसान के लिए रहना बहुत मुश्किल है। यही वजह है कि इसे मौत की घाटी कहा जाता है।
कैलिफोर्निया में है स्थित
डैथ वैली पूर्वी कैलिफोर्निया में स्थित एक रेगिस्तान को कहा जाता है। यहां गर्मी बढ़ने पर पारा बहुत अधिक पहुंच जाता है। यही वजह है कि यहां इंसानों का रहना बहुत मुश्किल है। हालांकि, यहां हैरान करने वाली बात यह है कि यहां सर्दी में पत्थर खिसकने के मामले देखने गए हैं।
यहां के रेस ट्रैक में मौजूद 300 किलोग्राम से अधिक के पत्थर भी अपने आप खिसक कर एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं। इसके निशान भी देखे जाते हैं। इस वजह से यह डेथ वैली किसी रहस्य से कम नहीं है। इसे लेकर कई वैज्ञानिकों ने कई सालों तक अध्ययन किया।
वैज्ञानिकों ने पाया कि रेस ट्रैक प्लाया 2.5 मील उत्तर से दक्षिण और 1.25 मील पूरब से पश्चिम तक बिल्कुल सपाट है। यहां हर सर्दी में पत्थरों के खिसकने का सिलसिला जारी रहता है। यही नहीं इन खिसकने वाले पत्थरों की संख्या कोई एक या दो नहीं बल्कि 150 से भी अधिक है। सर्दी में ये पत्थर अधिक दूरी तय कर लेते हैं।
सात साल तक किया गया था अध्ययन
पत्थरों के खिसकने की इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों ने करीब सात साल तक अध्ययन किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1972 में वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई थी। टीम ने अध्ययन के दौरान पत्थरों के एक समूह का नामकरण किया और सात साल तक उन पर अध्ययन करते रहे। इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया था कि केरीन नाम का पत्थर, जिसका वजन लगभग 317 किलोग्राम था, वह बिल्कुल भी नहीं हिला। वैज्ञानिक जब कुल वर्षों बाद वापस उसी जगह पर पहुंचे, तो केरीन अपनी जगह से एक किलोमीटर दूर मिला।
बताया जाता है यह कारण
पत्थरों के खिसकने की पीछे वैसे तो कई लोगों ने अलग-अलग थ्योरी बताई है। लेकिन, कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यहां ठंड में रात में रेगिस्तान में जमीन पर एक बर्फ की परत जम जाती है। वहीं, रेगिस्तान में 90 से 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलती हैं। ऐसे में बर्फ व गीली मिट्टी पत्थर और जमीन के बीच घर्षण को कम करते होंगे और इस बीच तेज हवाओं से पत्थरों को खिसकने में मदद मिलती होगी। इन वजह से पत्थर अपनी जगहों से खिसके हुए मिलते हैं।
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