प्रसिद्ध धार्मिक ग्रन्थ महाभारत हिन्दू पौराणिक कथाओं के सबसे पुराने और महानतम महाकाव्यों में से एक है. इसकी पूरी कहानी एक परिवार के आपसी सम्बन्धों तथा उनके भावनात्मक पहलुओं के इर्द गिर्द घूमती है. सारांशतः इस कहानी में हस्तीनापुरा के सिंहासन पर विजय प्राप्त करने के लिए कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होता है. इस युद्ध के दौरान परिवार के सदस्यों द्वारा विजय प्राप्ति के लिए कई दाव पेंच खेले जाते हैं तथा युद्ध क्षेत्र तथा घर दोनों को किस तरीके से सफलता पूर्वक मैनेज किया जाना चाहिए या किया जा सकता है, इसकी भी शिक्षा इस ग्रन्थ के माध्यम से आम जनता को दी जाती है. महाभारत के पात्रों द्वारा बताये गए ये मैनेजमेंट के गुण आज के परिदृश्य में मैनेजमेंट के छात्रों के लिए बहुत कारगर सिद्ध होंगे.
100,000 छंदों वाले इस महाकाव्य की रचना लगभग चौथी शताब्दी ईसा पूर्व महर्षि वेद व्यास द्वारा की गयी थी.
इस महाकाव्य के पात्रों द्वारा कई नैतिक सन्देश दिए गए हैं, जो आज के युवा पीढ़ी को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं. इस रचना में कई ऐसी घटनाओं का वर्णन है जिस पर अमल करके किसी ऑर्गनाइजेशन को सुचारू रूप से चलाने और उसे अधिक समृद्ध करने का सही तरीका जाना जा सकता है. हम महाभारत में वर्णित कुछ घटनाओं मे निहित संदशों का वर्णन कर रहें है. इन घटनाओं का एक प्रोफेशनल के लाइफ से बहुत गहरा सम्बन्ध है तथा उस पर चतुराई से अमल कर वे जीवन के किसी भी टारगेट को बड़ी आसानी से हासिल कर सकते हैं.
एमबीए अभ्यर्थियों के लिए महाभारत में बताये गए 5 महत्वपूर्ण मैनेजमेंट टिप्स
स्ट्रेटेजी और लीडरशिप
महाभारत की घटनाओं से यह साफ पता चलता है कि कृष्ण एक बहुत चतुर स्ट्रेटेजिस्ट थे. श्री कृष्ण युद्ध में कौरवों की 11 डिवीजन वाली सेनाओं के खिलाफ पांडवों की 7 डिवीजन वाली सेना को निर्णायक जीत के लिए न सिर्फ उन्हें प्रेरित करते हैं बल्कि अपनी सही स्ट्रेटेजी के जरिये उन्हें युद्ध में जीत भी दिलाते हैं. वे हमेशा पांडवों की टीम को यह सन्देश देते हैं कि युद्ध में एक लीडर की भांति निडर होकर और सिर्फ जीतने के उद्देश्य से लड़ों, सफलता अवश्य हांथ लगेगी.
यह बात समान रूप से एमबीए अभ्यर्थियों पर भी लागू होती है. अगर वे अपना लक्ष्य निर्धारित कर सही स्ट्रेटेजी के तहत साहस के साथ अपने टारगेट को पूरा करने की कोशिश करते हैं तो विभिन्न बाधाओं के बावजूद अपना टारगेट प्राप्त करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता है.
आधुनिक युग के लेखक “स्टीफन कोवी” ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि एक प्रोफेशनल के रूप में व्यक्ति को हमेशा अपने आत्मा की आवाज पर ध्यान देना चाहिए. किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व चार आयामों, आत्मा, शरीर, दिल और दिमाग पर केंद्रित होता है.जो अपनी विवेक की आवाज़ सुनता है वह अक्सर एक बहुत अच्छा स्ट्रेटेजिस्ट,उच्च कोटि का लीडर होता है. मैनेजमेंट में इन दोनों ही गुणों का होना अति आवश्यक है.
टीम स्पिरिट (टीम भावना)
महाभारत के उद्देश्यों में टीम भावना उसका आधार स्तम्भ है. कौरवों को युद्ध जीतने के लिए जिस टीम भावना की जरुरत उन्हें थी उसका बिलकुल अभाव था उनके टीम के बीच. ब्रह्मा, द्रोणा, कर्ण सहित कौरवों के सभी महान जनरल युद्ध के दौरान व्यक्तिगत कारणों से एक दूसरे के विपरीत विचार रख रहे थे. मानसिक रूप से कोई भी एक दूसरे का साथ नहीं दे रहा था. जबकि पांडवों ने अपना एक अभीष्ट लक्ष्य निर्धारित किया और सभी उस पर एक मत होकर कार्य कर रहे थे, सभी एक दूसरे के विचारों से सहमत उसके अनुरूप कार्य कर रहे थे. कोई एक दूसरे के विपरीत नहीं था. पांडवों ने निर्णायक दौर में सभी की राय को समान महत्व देते हुए अपने स्किल्स के अनुरूप टीम भावना के साथ काम किया, जिसका परिणाम उनकी विजय के रूप में सामने आया.
समकालीन युग में एमबीए उम्मीदवारों को 'सिनर्जी' और मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाया जाता था. हेनरी फेयोल का एक सिद्धांत है एस्प्रिट डी कोर जिसके अंतर्गत 14 प्रशासनिक सिद्धांत (एडमिनिस्ट्रेटिव प्रिसिपल्स) का वर्णन है जो ऑर्गनाइजेशन में टीम भावना को बनाए रखने पर जोर देते हैं.
सही समय पर सही मॉडल का इस्तेमाल
कुरुक्षेत्र के युद्ध में हम देखते हैं कि कृष्ण घाटोतकच को धोखे से मरवाते हैं ताकि कर्ण अर्जुन को मारने के लिए अपनी शक्ति अस्त्र का इस्तेमाल नहीं कर सके.
कृष्णा ने अभिमन्यु को युद्ध के लिए तय किए गए सभी कानूनों का कौरवों द्वारा उल्लंघन कर अभिमन्यु को मारने पर उसे मरने दिया ताकि पांडव भी दुर्योधन, कर्ण और द्रोणा को मारने के लिए कानून तोड़ सकें. नैतिक रूप से ये चाल गलत थें , लेकिन युद्ध के टर्मिनल लक्ष्य को जीतने के लिए ये बहुत जरुरी थे और कभी कभी प्रोफेशनल्स के लाइफ में भी ऐसे हालात उत्पन्न होते हैं. इसलिए उस समय उन्हें सही समय पर सही मॉडल का इस्तेमाल की तकनीक जानते हुए उसका यथोचित उपयोग करना चाहिए.
स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट में भी ऑर्गनाइजेशन में विभिन्न मॉडलों के होने के बावजूद आर्थिक मंदी और उछाल की प्रकृति के आधार पर किसी एक मॉडल को बाजार के लिए चुना जाता है और उसे लागू किया जाता है.
कार्य को लेकर जूनून का होना जरुरी है
जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए, लक्ष्य प्राप्ति के लिए जुनून का होना बहुत जरुरी है. इसका उदाहरण एकलब्य के जीवन में स्पष्ट झलकता है. गुरु 'द्रोणाचार्य' एमबीए उम्मीदवारों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकते हैं.एकलव्य को तीरंदाजी की कला सीखने का जूनून था. उसने गुरु 'द्रोणाचार्य' द्वारा उस कला को सीखाने से मना करने पर उनकी प्रतिमा बनाकर लगन के साथ सिर्फ उन्हें दूसरे छात्रों की सीखाते हुए देखकर उस विद्या में महारत हासिल की और तीरंदाजी के सभी टेक्निक में पारंगत हो गया.
इसलिए यदि एमबीए स्टूडेंट्स अपनी पसंद के करियर में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं तो बाधाओं को अनदेखा करें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगन के साथ अधिक से अधिक मेहनत करें. सफलता प्राप्ति के लिए प्रोफेशनल और एकेडमिक दोनों जीवन में जुनून का बहुत बड़ा रोल होता है. समय सीमा के अन्दर काम को पूरा करने का निश्चय, नए स्किल्स सीखने की इच्छा, बिजनेस में हो रहे बदलाव के अनुरूप अपने आप को परिवर्तित करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने का स्किल अपने अन्दर विकसित करना और कठिनाइयों का धैर्य के साथ सामना करना आदि गुण अभ्यर्थी में अवश्य होने चाहिए. इसलिए सफलता के लिए हमेशा अपने अन्दर किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति अपना जुनून बरकरार रखें तभी सही मायनों में आपको सफलता मिल पाएगी.
उत्कृष्ट गवर्नेंस
पांडवों ने इंद्रप्रस्थ शहर बसाया था और इस शहर पर शासन करते समय वे धर्म के मार्ग से बिलकुल विचलित नहीं हुए. उनके मैनेजमेंट और प्रशासन ने राज्य की सभी जनता का दिल जीत लिया. वे इस शहर को जुआ के खेल में अनुचित तरीके से हारने से पहले इस पर 36 साल तक शासन किये. अपने नैतिक और उत्कृष्ट गवर्नेंस के कारण ही ये जुआ के अनुचित खेल में हार गए जिसका परिणाम कुरुक्षेत्र का युद्ध था.
आजकल मार्केट में अपने कर्मचारियों के बीच मान सम्मान बनाये रखने के लिए बिजनेस लीडर में उत्कृष्ट गवर्नेंस की पूरी समझ बहुत महत्वपूर्ण है. किसी भी ऑर्गनाइजेशन में हेल्दी कल्चर का विकास तथा ऑफिस पॉलिटिक्स एवं कर्मचारियों में नेगेटिविटी के विकास को समाप्त करना ऑर्गनाइजेशन के ग्रोथ के लिए जरुरी होता है. इस सन्दर्भ में ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट कुछ निश्चित कदम उठा सकता है. टाटा ग्रुप, गूगल इंडिया, इंटेल, विप्रो आदि
कुछ ऐसे ऑर्गनाइजेशन हैं जो अपने कर्मचारियों के लिए काम करने के लिए सर्वोत्तम माहौल और स्थान प्रदान करते हैं.
मैनेजमेंट स्टूडेंट्स के लिए महभारत की ये 5 उक्तियाँ न सिर्फ उनके प्रोफेशनल लाइफ में उन्हें सफलता प्रदान करेंगी बल्कि वे अपने व्यक्तिगत, सामाजिक तथा पारिवारिक समस्याओं का समाधान भी इन उक्तियों के माध्यम से बहुत हद तक निकाल सकते हैं. सबसे पहले वे अपने लिए एक वर्क प्लान बनायें तथा उसपर दृढ़ता पूर्वक अमल करें. यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको टाइम मैनेजमेंट की कला खुद ब खुद आ जायेगी और आपको भविष्य में कोई सफल होने से नहीं रोक सकता है.