पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा रुपया 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबन्ध वाले निर्णय ने रातो रात देश में एक उथल-पुथल सा माहौल बना दिया है. तत्कालीन प्रभावों को अगर छोड़ दें तो दूरगामी प्रभावों को देखते हुए निश्चित ही प्रधान मंत्री के इस निर्णायक और साहसिक घोषणा का स्वागत किया जाना चाहिए.
लेकिन इसके साथ ही यहां पर यह सवाल उठाना स्वाभाविक है कि क्या काले धन और नकली नोटों पर अंकुश लगाने का प्रधान मंत्री का यह घोषणा, क्या देश के सरकारी नौकरी के क्षेत्र को भी प्रभावित करेगा? सरकार के इस कदम से वैसे उम्मीदवारों को आखिर कैसे लाभ होगा जो सरकारी नौकरी के लिए प्रयासरत हैं? क्या सरकार के इस कदम से उनके हितों पर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है?
कैशलेस अर्थव्यवस्था की शुरुआत, 'रोगग्रस्त कैश' का अंत
सच तो यह है कि सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने में लिए एक सराहनीय प्रयास है. इसके साथ ही यह कैशलेस अर्थव्यवस्था के दौर को आरंभ करने का एक सार्थक प्रयास भी है. ब्लैकमनी और उसके स्टॉक को समाप्त करने के लिए यह एक जबरदस्त प्रयास है जिससें निश्चित ही देश की अर्थव्यस्था को मजबूती मिलेगी.
हालाँकि इस कदम का तत्काल सटीक प्रभाव तो नहीं मिल सकती है लेकिन इतना तय है कि आने वाले समय में इसका अच्छा प्रभाव सामने आएगा. जाहिर है कि यह प्रतिबंध समाज के हर स्तर के लोगो जैसे उच्च वर्ग, निम्न वर्ग और और औसत दर्जे के लोगो पर भी प्रभाव डालेगा लेकिन यह भी निश्चित है कि लंबे समय में इसके दूरगामी सकारात्मक प्रभाव सामने आयेंगे.
हालाँकि भले ही यह दूर से हमें लगता है कि सरकार के इस कदम से जॉब अस्पिरेंट पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन यह बिलकुल सच भी नहीं है. जॉब कर रहे लोगो के साथ ही जॉब अस्पिरेंट पर भी सरकार के इस कदम के दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे और यहां हम एक संक्षिप्त विश्लेषण द्वारा इसे आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं.
हाल में विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार देश में सभी 500 और 1000 के नोटों को हटाकर इनके जगह नए नोट लाने की कयावद के पीछे भारतीय रिजर्व बैंक करीब 12000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. एक अनुमान के अनुसार इस प्रतिबन्ध के पहले 500 रुपये के 1567 करोड़ और 1000 रुपये के 632 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे.
जॉब स्कैम पर लगेगी विराम
हालांकि खुले तौर पर इसके उल्लेख नहीं किया जा सकता लेकिन इतना तय है कि सरकार के इस कदम से सबसे ज्यादा प्रभावित वह लोग होंगे जो सरकारी नौकरियों में घोटाले करते हैं. वैसे सभी धंधो पर इसका व्यापक असर पड़ेगे जो नकद पैसों पर आधारित है और इसका अंजाम उन लोगो को घाटा के तौर पर उठाने को तैयार रहना होगा. जैसा कि अनुमान है सरकार के कदम से अब सरकारी नौकरियों में होने वाले गोरखधंधो पर नकेल कसेगी और उम्मीदवारों के लिए एक स्पष्ट, पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी माहौल प्रशस्त होगा.
अनिवार्य ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया
कई सरकारी निकायों ( जैसे सेना बटालियनों, कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, राज्य उपक्रम उद्यमों आदि ) में आज भी पुरानी भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाती हैं जहां उम्मीदवारों को ऑफ़लाइन माध्यम से बैंकों से या सरकार के ट्रेजरी के द्वारा आवेदन शुल्क जमा करने को कहा जाता है.
आज कैशलेस लेन-देन अपना एक अलग पहचान बना चुकी है और आसान भी है. ऑनलाइन लेनदेन में पारदर्शिता तो है ही, इसके आसान मोड को देखते हुए निश्चित रूप से फीस के ट्रांजेक्शन के रिकॉर्ड को रखना भी काफी आसान है. पारदर्शिता के साथ ही यह व्यवस्था आधुनिक भी है और यह पूरी प्रक्रिया को आसान और सहज बनाएगी.
नगण्य बढ़ोतरी के साथ आवेदन शुल्क रह सकती है अपरिवर्तित
हालांकि इस संबंध में केवल यूपीएससी ने अधिसूचित किया है (पढने के लिए क्लिक करें. -1478176966-1), लेकिन यह उम्मीद है कि अन्य सभी सरकारी निकाय भी आवेदन शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करेंगे.
अगर हम आरक्षण के मुद्दों पर गौर करें तो देखेंगे कि सरकारी वेकेंसी में फीस का निर्णय श्रेणियों के आरक्षण के आधार पर होता है. दूसरे, अगर हम एक दशक में हुए परिवर्तन पर नजर डालें, तो देखेंगे की अब प्लेन पेपर के माध्यम से पूरा होने वाले जॉब प्रक्रिया का स्थान अब ऑनलाइन मोड ने ले लिया है.
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