आजकल हाई स्पीड इन्टरनेट व फ़ेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया साइट्स आने से जहाँ एक तरफ सूचनाओं का आदान प्रदान बहुत तेज़ी से बड़ा है वही दूसरी तरफ इससे जुड़ी समस्याएं भी बढ़ रहीं हैं, जिसमे सबसे बड़ी समस्याए फेक न्यूज़ की है. ज़्यादातर स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों की फ़ेसबुक और ट्विटर में प्रोफाइल ज़रूर होती है. ऐसे में स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को फेक न्यूज़ के प्रति सजग ज़रूर रहना चाहिए.
फेक न्यूज़ क्या है और यह इंटरनेट में कहा से उत्पन्न होती हैं?
फेक न्यूज़ मतलब गलत सूचनयाएं या झूठी खबरें या फिर अफवाहें. इन्हें कोई भी इंसान अपने फ़ायदे के लिए किसी भी वेबसाइट (या सोशल मीडिया वेबसाइट जैसे फ़ेसबुक, ट्विटर इत्यदि) के माध्यम से फैला सकता है.
उदाहरण के लिए अगर कल किसी को कोई बेहद महत्वपूर्ण परीक्षा रद्द करवानी हो तो वो इंसान नकली पेपर की फोटो किसी वेबसाइट (फ़ेसबुक, ट्विटर या फिर कोई ब्लॉग)के माध्यम से इंटरनेट पर प्रकाशित कर देता है और जिसके चलते छात्रों में एक दर सा बैठ जाता है कि हमने इतनी मेहनत से पढाई करी मगर जो लोग इस पेपर को पागए होंगे उनके नंबर तो हमसे अच्छे आएँगे और इसी परेशानी के चलते उनका पेपर ख़राब होजाता ही और बाद में पता चलता है कि ये फेक न्यूज़ थी .
कैसे इन्टरनेट पर फैलती है फेक न्यूज़?
झूठी खबरें या फिर अफवाहें जिसको लोग सच मान कर शेयर करना शुरू कर देते हैं तो फेक न्यूज़ फैलना शुरू हो जाती है. इसके फैलने का माध्यम कोई भी ब्लॉग या फिर सोशल मीडिया वेबसाइट (जैसे फेसबुक, ट्विटर या फिर व्हाट्सएप ग्रुप इत्यादि)हो सकते हैं . कभी-कभी जल्दबाज़ी में भारत के प्रमुख मीडिया वेबसाइट्स भी फेक न्यूज़ को बिना सत्यापित करे पब्लिश करदेती हैं जो इन्टरनेट पर फेक न्यूज़ फैलने के प्रमुख कारणों में से एक है.
उदाहरण के लिए किसी जाने माने नेता (जिनकें ट्विटर पर लाखों फोलोवेर्स हैं) ने कोई विडियो अपनी ट्विटर प्रोफाइल के माध्यम से शेयर किया तो कई मीडिया वेबसाइट्स उन पर भरोसा कर के उसे न्यूज़ की तरह पब्लिश कर देती हैं, हो सकता है कि वो विडियो सच हो या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वो विडियो फेक हो. इस तरह फेक न्यूज़ इन्टरनेट पर फैलती है.
क्या होता है फेक न्यूज़ फ़ैलाने का मकसद?
तरह तरह के लोग स्वार्थो के लिए फेक न्यूज़ या अफवाहें फैलातें हैं. उदाहरण के लिए किसी विद्यार्थी को अगर कोई पेपर रद्द करवाना हो तो वह पेपर लीक होने की फेक न्यूज़ फैला सकता है. अक्सर अपने फेसबुक कुछ इस तरह के पोस्ट देखें होंगे कि यह लड़की को कैंसर हो गया इसके घरवालें बहुत गरीब हैं और इलाज़ नहीं करा सकते कृपया इनकी मदद करने के लिए इन्हें इस बैंक अकाउंट नंबर पर पैसे भेजें. इस तरह के भी फेक पोस्ट फेसबुक पर बहुत शेयर होते हैं.
ज़्यादातर मामलों में फेक न्यूज़ निजी स्वार्थ या किसी को बदनाम करने के लिए या फिर राजनीतिक फायदे के लिए भी फैलाई जाती है.
कैसे है स्कूल जानें वाले विद्यार्थियों को फेक न्यूज़ से नुक्सान ?
स्कूल जाने वाले विद्यार्थी जब भी किसी काम में कठिनाई महसूस करते हैं तो वो इंटरनेट का सहारा लेते हैं. ऐसे में ज़्यादातर विद्यार्थि इंटरनेट में मौजूद सभी सूचनाओं को सच मानाने लगते हैं. इसके अलावा ज़्यादातर छात्र सोशल मीडिया का भी काफी उपयोग करते हैं.
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इस बात का फ़ायदा उठाकर कई लोग स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को गुमराह कर सकते हैं. फेक न्यूज़ कैसे विद्यार्थियों को कैसे नुकसान पहुँच सकता है इसे एक उदहारण के माध्यम से समझते हैं.
मन लीजिये कल किसी विषय का बोर्ड एग्ज़ाम है. ऐसे में फेसबुक में कोई व्यक्ति दावा करता है कि उसके पास कल के एग्जाम का पेपर है और कुछ पैसे देने पर वह उस पेपर को उपलब्ध करा सकता है. ऐसे में हो सकता है कि विद्यार्थी उसकी बात को सच मान कर उसे पैसे देदें . कुछ इसी तरह का लालच देकर कोई विद्यार्थी को अंजान जगह बुला कर किडनैप भी कर सकता है.
कैसे जानें कि कोई पोस्ट या फिर न्यूज़ फेक है कि नहीं?
कोई पोस्ट या फिर न्यूज़ फेक है या नहीं इसके लिए नीचें दिए गए तरीकों की मदद ले सकते हैं:
- किसी एक न्यूज़ वेबसाइट पर न्यूज़ के प्रकाशित होने पर अन्य मुख्य न्यूज़ वेबसाइट्स पर उसी न्यूज़ को ज़रूर जाँच लें
- किसी फेसबुक पर कोई पोस्ट दिखे तो उसे भी गूगल के माध्यम से अन्य मुख्य न्यूज़ वेबसाइट्स पर जांचने की कोशिश करें
- किसी भी न्यूज़ या पोस्ट को बिना वेरीफाई करे शेयर न करें
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