30 वर्षों तक प्रतिद्वंद्वी आईसीआईसीआई बैंक में काम करने के बाद जब वर्ष 2009 में शिखा शर्मा ने एक्सिस बैंक ज्वाइन किया तो हर व्यक्ति नई भूमिका में, खासकर दिग्गज पी जे नायक द्वारा एक्सिस बैंक को बैंकिंग इंडस्ट्री के सम्मानित नामों में शामिल करने के बाद उनकी सफलता के बारे में आशंकित था. आज, लगभग 7 वर्षों तक शीर्ष पर रहने के बाद श्रीमति शर्मा ने, 30 फीसदी के चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर के साथ अपने ग्राहकों के लिए कंसल्टिंग और एमएंडए एजवाइजरी बिजनेस शुरु करने के अलावा कॉरपोरेट एवं रिटेल ग्राहकों को सेवाएं देकर बैंक को एक फुल– फ्लेज्ड वित्तीय संस्थान बनाया है और अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया है. भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की सबसे रूढ़ीवादी फिर भी डायनेमिक सीईओ में से एक शिखा ने आरंभिक अड़चनों के बाद बैंक को देश का तीसरे सबसे बड़ा बैंक बनाया है.
शिखा शर्माः शुरुआत
एक सेना अधिकारी की बेटी शर्मा दिल्ली में लॉरेटो कॉन्वेंट के दिनों से ही सख्त अनुशासन में पलीं. बाद में, उन्होंने जीवन में आगे क्या करना है, इसके बारे में ज्यादा सोचे– विचारे बिना लेडी श्री राम कॉलेज में पढ़ाई की. उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से फाइनैंस में मेजर के साथ अपना एमबीए पूरा. इसी संस्था से उनके पति संजय शर्मा ने भी पढ़ाई की थी. संजय के पास अब टाटा में काम करने का 33 वर्षों का अनुभव है. शर्मा आईसीआईसीआई की दक्ष कर्मचारी भी रह चुकी है. उन्होंने 1980 में बतौर प्रबंधन प्रशिक्षु वहां नौकरी शुरु की थी और फिर बैंक के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पर्सनल फाइनैंस बिजनेस, इंश्योरेंस बिजनेस आदि में काम किया. वर्ष 2009 में उन्होंने पी जे नायक द्वारा एक्सिस बैंक छोड़ने के बाद इस बैंक में एमडी– सीईओ की जिम्मेदारी संभाली.
शिखा शर्माः गुण जिन्होंने उन्हें यहां तक पहुंचाया
शिखा शर्मा अपने जीवन में निरंतर एक छात्र बनी रहीं और यही वह बात है जिसने उन्हें किसी भी चीज और जो कुछ भी उन्होंने शुरु किया, उसमें सफल बनाया. कुछ मामलों में वे आज भी रूढ़ीवादी हैं लेकिन कई अन्य पहलुओं में वे काफी गतिशील हैं. आईए देखते हैं कि वह क्या चीज है जिसने उन्हें देश के 'सबसे भरोसेमंद प्राइवेट सेक्टर बैंक' का सीईओ बनाया.
- जोखिम उठाने की इच्छाशक्तिः उनके भीतर बैठा नेता हमेशा जीवन के साथ– साथ व्यापार संबंधी फैसलों में नए जोखिम उठाने को तैयार रहता है. उन्होंने वर्ष 2000 में बाजार में आए उदारीकरण बाद भारतीय बाजार में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के व्यापार को बीमा क्षेत्र का अगुवा बनाया. वर्ष 2009 में, एक बार फिर, उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक के कंफर्ट जोन से बाहर निकलने का फैसला किया.
- सीखने की इच्छाः उन्होंने खुद यह बात स्वीकार की है कि, वे सीखने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं और जब बात दूसरों से नई चीजें सीखने की हो तो उनमें किसी प्रकार का अहंकार नहीं होता. इसी रवैये ने उन्हें 1980 में आईसीआईसीआई बैंक में प्रबंधन प्रशिक्षु के तौर पर नौकरी शुरु करने के बाद नई चीजों को सीखने में मदद की.
- काम और जीवन में संतुलनः वर्ष 1982 में आईआईएम–ए के अपने सहपाठी से विवाह करने के बाद यह उनके जीवन का माइलस्टोन बना और यही बात है जो उन्हें दिन खत्म होने पर हमेशा अपने घर लौटा लाती थी. वे अपने बच्चों– एक बेटा और एक बेटी– का ख्याल ठीक वैसे ही रखतीं जैसे अन्य माएं रखतीं है. इसका एक उदाहरण यह है कि जब उन्होंने चाहा कि उनके बच्चे शास्त्रीय संगीत सीखें तो उन्होंने भी खुद से शास्त्रीय संगीत सीखा.
- उद्यमिता कौशलः उनके भीतर छुपा उद्यमी हमेशा नए व्यापार का और नए व्यापार बनाने का समर्थन करता है. आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के बाद देश के तीसरे सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक में शीर्ष स्थान पर होने के बादजूद उनके सहयोगी उनकी इस विशेषता से हमेशा आश्चर्यचकित होते हैं.
- एक फोकस्ड महिलाः शिखा शर्मा एक मिशन के साथ फोकस्ड महिला हैं. वे खुद कहती हैं कि यदि एक बार उन्होंने कुछ फैसला कर लिया तो सभी समस्याओं के बावजूद वे उसकी बारीकियों को समझने की कोशिश करती हैं. यही वह फोकस है जिसने इनाम सिक्योरिटीज के अधिग्रहण के दौरान उन्हें सभी बाधाओं का सामना करने की हिम्मत दी.
- व्यावसायिक कौशलः एक सेनाअधिकारी की बेटी में हमेशा से एक ऐसा महिला रही जिसमें एक व्यापार को शुरु करने और उसे बनाए रखने का आवश्यक कौशल था. वर्ष 2009 में प्रभार लेने के बाद उन्होंने बैंक की पहुंच के विस्तार के सभी सभी सही फैसले किए.
- भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाली बैंक सीईओः शिखा शर्मा, के वेतन में बीते वित्त वर्ष में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और उन्हें एक वर्ष के लिए 5.50 करोड़ रु. वेतन के तौर पर मिले.
शिखा शर्माः महिलाओं के लिए सम्मान
आईसीआईसीआई के साथ–साथ एक्सिस बैंक के साथ अपने शानदार करिअर में समर्पित बिजनेसवुमन ने कई पुरस्कार प्राप्त किए. उनके योगदानों को करिअर के दौरान कई बार पुरस्कृत किया गयाः
- बिजनेस स्टैंडर्ड ने 2014-15 में उन्हें बैंकर ऑफ द ईयर के पुरस्कार से सम्मानित किया था.
- वर्ष 2013 में, बिजनेस टुडे ने उन्हें भारत की बेस्ट वुमन सीईओ के सम्मान से नवाजा था.
- वे आरबीआई के तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य होने के साथ– साथ वित्तीय समावेशन समिति की भी सदस्य हैं और कम–आय वर्ग के परिवारवालों पर बनाई गई वित्तीय सेवा समिति की भी.
- शिखा शर्मा वर्ष 2015-16 के लिए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की बैंकिंग पर बनी राष्ट्रीय समिति की अध्यक्ष हैं.
- उनसे शासन में, वर्ष 2015 में बैंक ने इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज द्वारा बेस्ट बैंक इन कॉरपोरेट गवर्नेंस का पुरस्कार प्राप्त किया है.
कई लोग ये कहते हैं कि शिखा शर्मा ने श्रीमति चंदा कोचर से शीर्ष पद हारने के बाद आईसीआईसीआई छोड़ा था लेकिन शिखा कहती हैं कि वे अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना चाहती थीं और वित्तीय क्षेत्र में अपने तीन दशकों के करिअर के बाद कुछ नया करना चाहती थीं. उनका यही रवैया भारतीय वित्तीय क्षेत्र के साथ– साथ युवा एवं महत्वाकांक्षी महिलाएं जो अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहती हैं, के लिए उन्हें रोल मॉडल बनाता है. मध्यमवर्गीय पारिवारिक पृष्ठभूमि की होने के बावजूद उन्होंने ऐसा कर दिखाया और कई अन्य भी ऐसा कर सकती हैं.
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