U.P.P.C.S. (Main) Exam. – 2011
(Unsolved Question Paper)
सामन्य हिंदी
GENERAL HINDI
[ निर्धारित समय : 3 घंटे , पूर्णाक : 150 अकं ]
नोट : (i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं (ii) प्रत्येक प्रश्न के अंक उसके अंत में अंकित हैं। (iii) पत्र अथवा प्रार्थना-पत्र आदि के अंत में अपना नाम अथवा पता एवं अनुक्रमांक न लिखें। आवश्यकता होने पर क, ख, ग अथवा x.y.z लिख सकते हैं।कोई अन्य नाम व पता भी न लिखे।
1. हमारे चरों ओर एक प्रत्यक्ष जगत् है। उसका ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारी ज्ञानेन्द्रियों से लेकर सूक्ष्म वैज्ञानिक यन्त्रों तक एक विस्तृत कारण-जगत बन चुका है और बनता जा रहा है। बाह्रा जगत् के सम्बन्ध में विज्ञानं और ज्ञान की विचित्र स्थिति है। जहाँ तक विज्ञानं का प्रश्न है,उसने इन्द्रियजन्य ज्ञान में सबसे पूर्ण प्रत्यक्ष को भी अविश्वसनीय प्रमाणित कर दिया है। अपनी अपूर्णता नही,पूर्णता में भी दृष्टि रंगो के अभाव में रंग ग्रहण करने की क्षमता रखती है और रूपों की उपस्थिति में भी उनकी यथार्थता बदल सकती है। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष ज्ञान के ऊपर अनुमान,स्मृति आदि की प्रत्यक्ष छाया फैली रहती है। हमें यह विशिष्ट विज्ञानं उपयोग के लिए चाहिए पर उस उपयोग के भोग के लिए हम अपना सहज अनुभव ही चाहते रहंगे। इसी कारण वैज्ञानिक ज्ञान को सीखकर भूलता है और कलाकार भू क्र सीखता है।
(i) उपर्युक्त ग्घ्द्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। 05
(ii) उपर्युक्त ग्घ्द्यांश के आधार पर ज्ञान और विज्ञानं में अन्तर स्पष्ट कीजिए। 05
(iii) उपर्युक्त ग्घ्द्यांश के रेखांकित अंशो की व्याख्या कीजिए। 20
2. माकर्स मानव की आत्म-चेतना को सबसे बड़ा देवता मानता है। उसका कहना है की मनुष्य धर्म को बनता है,न की धर्म मनुष्य को। मानवेतर परम पुरुष की कल्पना,मनुष्य के ख्याल और वहम का नतीजा है। इसमें वास्तविकता कुछ नही है।जितना ही अधिक मनुष्य ईश्वर को गुणों से विभूषित करता है उतना ही वह अपने को खण्डित और विकलित बनता है। मानव की परिपूर्णता में धर्म बाधक है परलोक की सुन्दर कल्पना कर धर्म अपनी आज की जिम्मेदारियां से बरी हो जाता है। उसके अनुसार वर्तमान सामाजिक व्यवस्था ईश्वरकृत है इसलिए वह सदा के लिए अपरिवर्तनशील है। धर्म वर्तमान को सुरक्षित रखना चाहता है और परमेश्वर की कल्पना कर मनुष्य को उत्पन्न होने देता,जीवन की ठोस हकीकत से उसको अलग कर वहम की काल्पनिक दुनिया में नचाता है। धर्म के बोझ के तले मानव दबा रहता है। समाजवाद धर्म की मीमांसा कर धर्म की कैद से मनुष्य को छुटकारा दिलाता है,मानवता के गौरव को बढ़ता है था वर्ग संघर्ष से समाज को अक्षुण रखता है।
(क) ऊपर लिखे ग्घ्द्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। 05
(ख) संक्षेपण की विशेषताएँ बताइए। 05
(ग) संक्षेपण एवं सारांश में अन्तर बताते हुए उपर्युक्त अवतरण का संक्षेपण एक तिहाई शब्दों में कीजिए। 20
3. (क) सरकारी एवं अर्ध्द - सरकारी पत्र का अन्तर स्पष्ट करते हुए अर्ध्द - सरकारी पत्र का एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए। 10
(ख) परिपत्र एव अधिसूचना में अंतर बताते हुए परिपत्र का एक प्रारूप प्रस्तुत कीजिए।
4. (क) (i) निमनलिखित शब्दों के उपसर्ग और मूल शब्द पृथक- पृथक लिखिए: 05
(ii) कृत् एवं तद्धित प्रत्यय में क्या अन्तर है? दोनों के दो-दो उपयुक्त उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। 05
(ख) निमनलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए: 05
सावधान, सुलभ, अक्षर, पण्डित, कुसुम, वीर, रथी, खंडन, अभिमानी, मानवता।
(ग) निम्नाकित वाक्यांशों के विलोम शब्द लिखिए : 05
(i) जिसका उत्तर ने दिया गया हो।
(ii) अपने मत को मानने वाला।
(iii) जो कहा न गया हो।
(iv) परम्परा से सुना हुआ।
(v) जो देखने के योग्य हो।
(घ) निमनलिखित वाक्यों की अशुद्धियाँ ठीक क्र अशुधि के प्रकार का भी उल्लेख कीजिए: 5+5=10
(i) इस पुस्तक में यही विशेषता है।
(ii) उसके प्राण पखेरू चले गये।
(iii) आप ही रचना श्रेष्ठतम है।
(iv) लड्डू और लस्सी पीकर हमने यात्रा की।
(v) वह नगर दृष्टव्य है।
5. निमनलिखित मुहावरों /लोकोकित्यों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(1) तोता चश्मी करना।
(2) बालू से तेल निकलना।
(3) कानी के ब्याह में सौ जोखम।
(4) छतीस का अंक होना।
(5) खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे।
(6) कालिख पोतना।
(7) नौ दो ग्यारहहोना।
(8) अनदेखा चोर शाह बराबर।
(9) करत-करत अभ्यास के जडमति होना
(10) घोडा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या?
(11) नौ नगद न तेरह उधार
(12) गंगा गये गंगादास,जमुना गये जमुनादास।
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