Positive India: 12वीं में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई फिर कड़ी मेहनत की और UPSC क्लियर कर बनें IAS अफसर - जानें के. एलंबावथ की कहानी

Jun 8, 2020, 14:32 IST

के. एलंबावथ एक स्कूल ड्रॉपआउट हैं जिन्होंने डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई को पूरा किया। वह 5 मेन्स और 3 इंटरव्यू राउंड के लिए उपस्थित हुए परन्तु सभी में असफल रहे। फिर 2016 में UPSC सिविल सेवा परीक्षा क्लियर कर के बने IAS अफसर 

Positive India: 12वीं में छोड़नी पढ़ी थी पढाई फिर कड़ी मेहनत की और UPSC क्लियर कर बनें IAS अफसर - जानें के एलंबावथ की कहानी
Positive India: 12वीं में छोड़नी पढ़ी थी पढाई फिर कड़ी मेहनत की और UPSC क्लियर कर बनें IAS अफसर - जानें के एलंबावथ की कहानी

जहाँ कई युवाओं के लिए IAS बनने का मकसद अपना भविष्य सुधारना होता है, एलंबावथ ने UPSC सिविल सेवा की परीक्षा सरकारी कार्यालयों की ख़राब स्थिति को सुधारने और उनमें नई कार्यप्रणाली स्थापित करने के लिए की। यह फैसला उन्होंने 9 साल तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद लिया। हालाँकि इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने विषम परिस्थितियों और लगातार मिलती असफलताओं का डट कर सामना किया। आइये जानते हैं उनका IAS बनने तक का सफर कैसा रहा

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तमिल नाडु के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं एलंबावथ 

एलंबावथ का जन्म 1982 में तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक छोटे से गाँव चोलगंगुदिक्कडु में हुआ था। उनका बचपन काफी सामान्य था। उनके पिताजी ग्राम प्रशासनिक अधिकारी के रूप में काम करते थे और माँ एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने अपने बचपन के अधिकांश दिन खेतों में अपनी माँ की मदद करने, स्कूल जाने और अपने दोस्तों और तीन बड़ी बहनों के साथ खेलने में बिताए। अपने पिता गाँव के पहले ग्रेजुएट व्यक्ति थे इसीलिए एलंबावथ के परिवार ने हमेशा ही शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया।

पिता की आकस्मिक मृत्यु ने बदल दिया पूरा जीवन 

1997 में जीवन ने एक दुखद मोड़ लिया जब एलंबावथ ने अपने पिता को खो दिया। उस समय वह कक्षा -12 के छात्र थे और आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वह अपनी माता के साथ खेत में काम करने लगे। एलंबावथ का कहना है की “मेरे स्कूल के साथी और मेरे आस-पास के लोग मेडिसिन और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने में व्यस्त थे। इस बीच, मैं अपने भविष्य के बारे में अस्पष्ट था। जब तक मैं 24 साल का नहीं हो गया, तब तक मुझे UPSC या उसकी भर्ती के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। “ 

LDC पद के लिए दिया था आवेदन पर हुए थे रिजेक्ट 

एलंबावथ यह जानते थे कि खेती से वह परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं पाएंगे इसीलिए उन्होंने मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार के सदस्यों को प्रदान किए जाने वाले करुणामूलक आधार पर जूनियर सहायक (LDC) पद के लिए आवेदन किया। आवेदन प्रक्रिया का एक हिस्सा जिला कलेक्टर कार्यालय को शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना था। इसके साथ ही अन्य 20 प्रकार के दस्तावेज भी जमा करने थे। हालाँकि सभी प्रमाणपत्रों को जमा करने के बावजूद उन्हें एलडीसी की नौकरी नहीं मिली। बताते हैं कि “जिला कलेक्टर कार्यालय ने प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए मेरी पोस्टिंग से इनकार कर दिया। 15 से अधिक ऐसे उम्मीदवार नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे थे। लेकिन, कुछ को प्रतीक्षा सूची को दरकिनार कर नियुक्त किया गया। मैं नहीं समझ पाया था की ऐसा कैसे हो सकता है"

9 साल तक नौकरी के लिए लगाते रहे सरकारी दफ्तरों के चक्कर 

एलंबावथ ने अन्य उम्मीदवारों के साथ, जिला कलेक्टर, राजस्व सचिव, आयुक्त और यहां तक कि मुख्यमंत्री को अपनी-अपनी शिकायतें दीं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वह बताते है की "मेरा हर दिन दोपहर तक खेतों में काम करने से शुरू होता था और फिर सरकारी कार्यालयों में जाने, नौकरी की दलील देने और फिर अंत में बिना किसी ठोस नतीजे के घर लौटने पर खत्म होता था। मैंने नौ साल तक यह लड़ाई लड़ी और फिर भी कुछ नहीं हुआ।"

जब उनके सभी साधन और प्रयास असफल रहे तब उन्होंने एक और रास्ता निकालने का फैसला किया जिसमें किसी से कोई भी सहायता मांगने की आवश्यकता नहीं थी। एलंबावथ ने जिला कलेक्टर के कार्यालय में वापस लौटने का संकल्प लिया लेकिन एक अधिकारी के रूप में। उन्होंने इस बार करुणा की बजाय सक्षमता के रास्ते को चुना।

डिस्टेंस लर्निंग से की 12वीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी

चूंकि एलंबावथ ने 12वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी थी इसलिए उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग की शिक्षा को चुना और मद्रास विश्वविद्यालय से इतिहास में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपने दम पर मेहनत की क्योंकि उनके पास तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर की फीस भरने के पैसे नहीं थे 

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पब्लिक लाइब्रेरी में की UPSC की तैयारी 

एलंबावथ बताते हैं की उनके गाँव या आस-पास के शहरों में UPSC की परीक्षा के मार्गदर्शन के लिए कोई सुविधा नहीं थी। इसलिए उन्होंने सार्वजनिक पुस्तकालय में अध्ययन किया जिसमें सिविल सेवाओं के लिए एक अलग खंड होता है। वह पट्टुकोट्टई में 10 अन्य सिविल सर्विसेज एस्पिरेंट्स के साथ पढ़ते थे। ुका कहना है की "हमारे सेवानिवृत्त हेडमास्टर श्री एटी पनेर सेल्वम और कई शुभचिंतक सहायक थे।" पुस्तकालय और लोगों के समर्थन ने उन्हें तमिलनाडु सरकार द्वारा मुफ्त सिविल सेवा कोचिंग पाने में मदद की।

 

2014 में स्टेट PCS में हुआ सिलेक्शन पर करते रहे UPSC की तैयारी

एलंबावथ लगातार तीन बार UPSC के इंटरव्यू चरण के लिए सेलेक्ट हुए लेकिन सभी में असफल रहे। हालाँकि उन्होंने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग की कई परीक्षाओं को पास किया। यद्यपि 2014 में सरकारी नौकरी पाने का एलंबावथ का सपना पूरा हो गया लेकिन असंतोष कायम रहा। वह बताते हैं की "मैं राज्य सरकार की ग्रुप 1 सेवा में शामिल हो गया जिसमें सहायक निदेशक (पंचायत), डीएसपी आदि शामिल हैं। लेकिन मैंने UPSC की तैयारी जारी रखी।"

2016 में बने IAS अधिकारी 

सिविल एस्पिरेंट के रूप में उनकी राह आसान नहीं थी। वह पांच मेन्स और तीन इंटरव्यू राउंड के लिए उपस्थित हुए और उन सभी में विफल रहे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इसके बजाय कड़ी मेहनत की लेकिन दुख की बात है कि उनके सभी प्रयास बिना किसी सफलता के समाप्त हो गए। लेकिन 2014 में केंद्र सरकार ने उन लोगों को दो और प्रयास दिए जो सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट से प्रतिकूल रूप से प्रभावित थे। ने इस अवसर का फ़ायदा उठाया और 2016 में फिर एक बार बेहतर तैयारी से परीक्षा दी। इस बार उन्होंने 117वी रैंक हासिल की और अपना IAS बनने का सपना पूरा किया। 

एलंबावथ का कहना है कि "मैं हमेशा अपने लक्ष्य को लेकर आश्वस्त था और मैंने इस समय इस प्रोफेशन में प्रवेश किया जब असफलता और सफलता एक ही रेखा पर थी। इस प्रकार मेरे असफल प्रयास मुझे किसी भी समय पर हतोत्साहित नहीं करते थे।" 19 साल के कड़े प्रयास के बाद आज वह एक सफल IAS अफसर हैं और देश के हर युवा के लिए एक आइकॉन बन गए हैं। 

Sakshi Saroha is an academic content writer 3+ years of experience in the writing and editing industry. She is skilled in affiliate writing, copywriting, writing for blogs, website content, technical content and PR writing. She posesses trong media and communication professional graduated from University of Delhi.
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