आईएएस मुख्य परीक्षा 2011 : दर्शनशास्त्र प्रथम प्रश्न-पत्र

Dec 19, 2011, 18:15 IST

यहां पर संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2011 के दर्शनशास्त्र का प्रथम प्रश्न-पत्र दिया गया है.

संघ लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2011 की सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा का आयोजन देश के विभिन्न केन्द्रों पर 29 अक्टूबर 2011 से 26 नवम्बर 2011 के मध्य किया. यहां पर सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2011 के दर्शनशास्त्र का प्रथम प्रश्न-पत्र दिया गया है. इच्छुक अभ्यर्थी इसे पढ़कर अपनी तैयारी की रणनीति बना सकते हैं.

 

दर्शनशास्त्र

प्रश्न –पत्र I

 

समय : तीन घण्टे                                                            पूर्णांक: 300

 

अनुदेश

 

 

प्रत्येक प्रश्न हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में छपा है.

प्रश्नों के उत्तर उसी माध्यम में लिखे जाने चाहिए जिसका उल्लेख आपके प्रवेश-पत्र में किया गया है, और इस माध्यम का स्पष्ट उल्लेख उत्तर –पुस्तक के मुख-पृष्ठ पर अंकित निर्दिष्ट स्थान पर किया जाना चाहिए. प्रवेश-पत्र पर उल्लिखित्त माध्यम के अतिरिक्त अन्य किसी माध्यम में लिखे गए उत्तर पर कोई अंक नहीं मिलेंगे.

प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य है. बाकी प्रश्नों में से प्रत्येक खण्ड से कम-से-कम एक प्रश्न चुनकर किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए.

प्रत्येक प्रश्न के लिए नियत अंक प्रश्न के अंत में दिए गए है.

 

खण्ड ‘अ ‘


1. (अ) प्लेटो प्रत्यय –जगत को इन्द्रियानुभाविक-जगत से किस प्रकार संबंधित करता है ? विवेचन कीजिए.  15

(ब)  देकार्त ईश्वर के अस्तिव पर संदेह क्यों नहीं करता है? ब्याख्या कीजिए.  15

(स) रसेल के विवरणसिद्धांत में ‘अपूर्ण प्रतीक’ का क्या विचार है ? विवेचन कीजिए.  15

(द) “ मै स्वयं के प्रति एवं प्रत्येक अन्य के प्रति उत्तरदायी हूँ ” इस कथन का सश्रे के अस्तित्ववाद के सन्दर्भ में विवेचन कीजिए.  15

 

2. (अ) “ ह्रूंम ने मुझे मताग्रही निद्रा से जगा दिया.” कांट ने किस सन्दर्भ में वह कथन कहा था ? विवेचन कीजिए.  20

(ब) सत्यापन सिद्धांत की सीमाओं का विवेचन कीजिए.  20

(स) अनुभववादियों के अनुसार द्रब्य की क्या अवधारणा है ? विवेचना कीजिए.  20

 

3. (अ) “ शब्द का अर्थ उसके प्रयोग में निहित होता है. ”विस्तार से समझाइये.  30

(ब) हुसर्ल के अनुसार विषयापेक्षा क्या है.? विषय अर्थ तक पहुँचने में इसकी क्या भूमिका है ? 30

 

4. (अ) पप्रत्ययवाद के विरुद्ध जी .ई .मूर के द्वारा दिये गये तर्क क्या पर्याप्त है? स्वयं के उत्तर के लिए कारण दीजिए.  30

 

खण्ड ‘ब ‘

 

5. (अ) जैनदर्शन के अनुसार मोक्ष मार्ग क्या है? विवेचन किजिये.  15

(ब) क्या शून्यवाद एक दाशर्निक सिद्धांत है. मूल्यांकन किजिये.   15

(स) नैयायिकों द्वारा ईश्वर के अस्तित्व के पक्ष में दियें गये तर्कों में क्या आप कोई अपूर्णता पते है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए.  15

(द) वैशेषिक दाशर्निक अभाव को एक स्वतंत्र पदार्थ क्यों मानतें है? समझाइये.  15

 

6. (अ) सप्तभंगी नय को एक संदेहवादी सिद्धांत क्यों नहीं माना जाता है ? विवेचन किजिये.  15

(ब) नैयायिको की आलोचना से सिमांसक स्वत:  प्रमाण्यवाद  की रक्षा कैसे करते है? विवेचन किजिये. 15

(स) प्रतीत्यसमुत्पाद के प्रतिपादन में ‘नाम-रूप’ की बोद्धमतिय अवधारणा का क्या महत्व है ? 20

 

7. (अ) सांख्य, दर्शन के बहुपूरुषवाद  के समर्थक तर्कों  की परीक्षा किजिये. 30

(ब) “ योग मनो –भोतिक ब्यायाम से अधिक है. ” इस कथन का विष्लेषण किजिये एवं अपने निष्कर्ष के समर्थन में तर्क दीजिये.  30

 

8. (अ) चार्वाक आकाश की अवधारणा का खंडन क्यों करते है. विवेचन किजिये.  30

(ब) बौदों के लिए निवार्ण की अवधारणा क्या एक तार्किक आवश्यकता है? स्वयं के उत्तर के समर्थक में कारण दीजिये.  30

 

आईएएस मुख्य परीक्षा 2011 : दर्शनशास्त्र द्वितीय प्रश्न-पत्र

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