प्रवीण सिन्हा 10वीं में पढ रहे अपने बेटे प्रकाश को लेकर बेहद दुविधा में थे। दुविधा इस बात की कि उसे डॉक्टरी पढाएं या इंजीनियरिंग या फिर किसी नए और उभरते हुए करियर की राह पकडाएं। इसी बीच उनके एक समझदार मित्र ने सुझाव दिया कि इस तरह का कोई भी निर्णय करने से पहले अपने बेटे के रुझान को भी अवश्य देख लें। इससे सहमत प्रवीण ने बेटे की गतिविधियों पर गौर करने पर पाया कि उसका मन कम्प्यूटर और ग्राफिक्स में खूब रमता है। उन्हें लगा कि आईटी एज में अगर उसे इसी दिशा में आगे बढाया जाए, तो इसमें उसका ब्राइट करियर बन सकता है। 12वीं में मैथ पढाने के साथ-साथ उन्होंने ग्राफिक्स के बेसिक्स सीखने के लिए प्रेरित किया और बाद में एक अच्छे संस्थान में बीएससी-मल्टीमीडिया में एडमिशन करा दिया। उनकी यह सोच तब रंग लाई, जब प्रकाश के प्रोजेक्ट्स को न केवल अवार्ड पर अवार्ड मिलने लगे बल्कि आखिरी सेमेस्टर से पहले ही उसे एक बडे प्रोडक्शन हाउस से जॉब ऑफर भी मिल गया।
दरअसल, आज के तकनीकी युग में मल्टीमीडिया ने कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है। इनमें एंटरटेनमेंट, गेमिंग, एनिमेशन, स्पेशल इफेक्ट्स, एडवरटाइजिंग तो इसका लाभ उठा ही रहे हैं, पब्लिशिंग, फैशन व इंटीरियर डिजाइनिंग इंडस्ट्री आदि भी पीछे नहीं हैं। अच्छी बात यह है कि भारतीय मल्टीमीडिया एक्सपर्ट देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी धूम मचा रहे हैं। इसका ताजा नमूना हॉलीवुड की चर्चित फिल्म अवतार में इंडियन प्रोफेशनल्स का काम है, जो दर्शकों को खूब भाया है।
मल्टीमीडिया की माया
एडिटवर्क्स के डायरेक्टर सचिन सिंह बताते हैं कि मल्टी मीडिया विभिन्न मीडिया तत्वों, जैसे-टेक्स्ट, ग्राफिक्स, एनिमेशन, कम्प्यूटर के साथ ऑडियो एवं वीडियो का बेहतर कॉम्बिनेशन है। नैस्कॉम का अनुसार यह इंडस्ट्री 2009 के आखिर तक बढकर 120 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की हो गई है और 2015 तक इसके लगभग 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की आशा है।
हर क्षेत्र में पहुंच
एनिमेशन: एनिमेशन देश और दुनिया में सबसे तेजी से बढने वाली आईटी एनैबल्ड सर्विसेज (आईटीईएस) में से एक है। नैस्कॉम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 तक सिर्फ भारत में एनिमेशन उद्योग में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या 6 लाख से अधिक हो जाएगी। प्रान्स मीडिया के डायरेक्टर निखिल प्राण के अनुसार, एनिमेशन इंडस्ट्री में विजुअलाइजर, इंक व पेंट आर्टिस्ट, स्पेशल इफेक्ट पर्सन, कैरेक्टर एनिमेटर और मॉडलिंग आर्टिस्ट के रूप में प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है।
गेमिंग: मल्टी मीडिया की यह ब्रांच नई होने के बावजूद सभी वर्ग के लोगों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के वीडियो कंसोल, कम्प्यूटर, मोबाइल, आईपॉड तथा हैंडसेट गेम का निर्माण किया जाता है।
कार्टून फिल्में: कुछ वर्ष पहले तक भारत में कार्टून फिल्में विदेश से बनकर आती थीं, मगर देश में ट्रेंड लोगों की बढती संख्या के कारण अब देश में ही इनका निर्माण होने लगा है। ऐसी फिल्मों में 2डी और 3डी एनिमेशन तथा साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया एवं वेब इंडस्ट्री: इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के तेजी से आगे बढने से संचार की एक नई कला सामने आई है। इससे ग्लोबल कम्युनिटी से संपर्क का दरवाजा खुल गया है। इसका सबसे बडा माध्यम इंटरनेट है, जिसकी पहुंच दुनिया के कोने-कोने तक हो गई है। ई-कॉमर्स और इंटरैक्टिव पोर्टल्स ने भी मल्टीमीडिया विशेषज्ञों के लिए खूब संभावनाएं जगाई हैं। इस फील्ड में एंट्री के लिए वेब इंजीनियरिंग का कोर्स करना जरूरी होता है।
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री: हॉलीवुड के बाद अब बॉलीवुड की फिल्मों में भी मल्टीमीडिया का प्रयोग तेजी से बढ रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विज्ञापन फिल्मों और टीवी सीरियल्स में भी मल्टीमीडिया के मास्टर अपने जौहर खूब दिखा रहे हैं। एनिटून्स के संजीव चौधरी का कहना है कि लगातार बढते चैनलों और उनके लिए बनाए जाने वाले प्रोग्राम्स की भारी डिमांड देखते हुए इस क्षेत्र में डिजाइनर, गेम्स डिजाइन स्पेशलिस्ट, एनिमेटर आदि की खूब मांग है।
पब्लिशिंग इंडस्ट्री: मल्टीमीडिया का फायदा पब्लिशिंग इंडस्ट्री भी जमकर उठा रही है। चाहे न्यूज पेपर्स, मैगजीन्स, बुक्स हों या फिर ऑनलाइन मैगजीन्स, सभी में कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, वेबसाइट्स आदि का जमकर इस्तेमाल हो रहा है।
फैशन व इंटीरियर डिजाइनिंग: बदलते दौर में नित नए फैशन की डिमांड होती है। इस डिमांड को मल्टीमीडिया की बदौलत ही पूरा करना संभव हो पा रहा है। इंटीरियर डिजाइनिंग में भी इसकी मदद ली जा रही है।
उपलब्ध कोर्स
मल्टी मीडिया का कोर्स विभिन्न रूपों में उपलब्ध है। इसमें 12वीं के बाद बीएससी इन मल्टीमीडिया भी किया जा सकता है, जिसकी अवधि तीन साल है। इसके अलावा, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी उपलब्ध हैं, जिनकी अवधि 12 से 36 माह की होती है। कोर्स के तहत थ्योरी और ज्यादातर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है।
आवश्यक योग्यता
गेको एकेडेमी के सीओओ परेश मेहता कहते हैं कि मल्टी मीडिया कोर्स के साथ खास बात यह है कि यह जितना आधुनिक और व्यापक है, उसके हिसाब से इस कोर्स में प्रवेश के लिए किसी बडी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती। हां, अधिकतर संस्थान कम से कम बारहवीं पास स्टूडेंट्स को इस कोर्स में एडमिशन देते हैं। इसके लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान और क्रिएटिविटी सफलता की शर्त है।
महत्वपूर्ण संस्थान
जागरण इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड मास कम्युनिकेशन, सेक्टर-6, नोएडा व कानपुर
वेबसाइट: www.jimmc.in
एरिना एनिमेशन एकेडमी, एफ-35 ए, साउथ एक्सटेंशन-1, नई दिल्ली, फोन: 011-46020303-6
वेबसाइट: www.bestanimationschool.com
गेको एनिमेशन स्टुडियो, ई-10, दूसरा व तीसरा तल, साउथ एक्सटेंशन, पार्ट-2, नई दिल्ली, फोन: 011-46035357-8
प्रान्स मीडिया इंस्टीटयूट, ई-13, ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, नई दिल्ली-16, फोन: 011-41754844, 42651265
वेबसाइट: www.pran.in
कम्प्यूटर किड्स, एजी-6, शालीमार बाग, नई दिल्ली, फोन-011-27477230
सीजी मंत्रा, डी-108, सेक्टर-2, नोएडा
वेबसाइट: www.cgmantra.in
एडिटवर्क्स स्कूल ऑफ एनिमेशन, सी-56/12, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर-62, नोएडा, फोन : 0120-2404073, 6512430
वेबसाइट: www.editworksindia.com
एनिटून्स, 19, कॉमर्शियल ब्लॉक, कौशांबी, गाजियाबाद, फोन : 0120-6561207,
वेबसाइट: www.anitoonsindia.com
माया एकेडमी ऑफ एडवांस सिनेमेटिक्स, ई-19, पार्ट-1, फर्स्ट फ्लोर, साउथ एक्सटेंशन, नई दिल्ली।
मल्टीमीडिया में संभावनाएं अपार
मल्टी मीडिया में क्या-क्या शामिल है?
इसके अंतर्गत आर्ट, कम्प्यूटर ग्राफिक्स, इंटरनेट, एनिमेशन, स्पेशल इफेक्ट्स, अप्रोप्रिएट साउंड आदि का दिलचस्प मेल है। कम्प्यूटर पर इन सारे टूल्स की मदद से लाइव प्रोग्राम, कार्टून फिल्में, गेम्स आदि बनाए जाते हैं।
मंदी को देखते हुए दुनिया में मल्टी मीडिया की आज क्या स्थिति है?
सुखद बात यह है कि विश्वव्यापी मंदी के बावजूद मल्टीमीडिया इंडस्ट्री पर इसका कोई खास असर नहीं पडा है। आज भी ग्लोबल एनिमेशन मार्केट करीब 40-50 प्रतिशत की दर से बढ रहा है।
भारत किस तरह से आगे बढ रहा है?
भारत की आईटी और आईटी एनैबल्ड सर्विसेज यानी आईटीईएस की तूती पूरी दुनिया में बोल रही है। मल्टीमीडिया फील्ड में हर तरह की आउटसोर्सिग के लिए भारत को पसंद किया जा रहा है, क्योंकि यहां भारी संख्या में स्किल्ड क्रिएटिव डिजाइनिंग एक्सपर्ट्स उपलब्ध हैं।
भारत से आउटसोर्सिग को क्यों प्राथमिकता दी जा रही है?
इसके पीछे लो कॉस्ट, मोर प्रॉफिट का कॉन्सेप्ट ही काम कर रहा है। वैसे तो, अमेरिका में एनिमेशन व गेमिंग का खूब काम हो रहा है, लेकिन वहां किसी भी प्रोजेक्ट की लागत बहुत ज्यादा आने से उसे किसी ऐसे देश से आउटसोर्स किया जाता है, जहां निर्माण लागत तो कम तो हो ही, प्रोग्राम की गुणवत्ता भी किसी तरह से कम न हो।
इस फील्ड में आने वाले स्टूडेंट्स में क्या खास काबिलियत होनी चाहिए?
उसे क्रिएटिव माइंड का होना चाहिए और अंग्रेजी तथा कम्प्यूटर की समझ होनी चाहिए। यदि उसे ग्राफिक्स व म्यूजिक की अच्छी समझ है, तो और अच्छा है।
स्टार्टिग सैलॅरी क्या मिलती है?
कोर्स करने के बाद एनिमेशन-गेमिंग प्रोजेक्ट, स्टुडियो, टीवी चैनल्स, प्रॉडक्शन हाउसेज, फिल्म निर्माण कंपनियों, कार्टून फिल्मों आदि में काम मिलता है। आरंभ में देश में 12-15 हजार रुपये और विदेश में करीब 50 हजार डॉलर सालाना सैलॅरी मिलती है। थोडे अनुभव के बाद कमाई 25-50 हजार तक पहुंच सकती है। फ्रीलांस काम करके भी लाखों कमा सकते हैं।
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