रूस के जैव-भौतिक वैज्ञानिकों की एक टीम ने साइबेरिया क्षेत्र में लगभग 32 हजार वर्षों से सुप्त अवस्था में पड़े ऊतक से पौधे उगाने में सफलता हासिल की. रूस के कोशिका जैव-भौतिकी संस्थान के डेविड गिलिचिंस्की के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने साइबेरिया क्षेत्र में कोल्यमा नदी के किनारे गिलहरियों के बिल में सुप्तावस्था में पड़ी सामग्री से इस पौधे को उगाया.
जैव-भौतिक वैज्ञानिकों को साइबेरिया क्षेत्र में कोल्यमा नदी के किनारे जो सुप्तावस्था में पड़ी सामग्री मिली, वह साइलेन स्टेनोफाइला (Silene stenophylla) परिवार से था. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सुप्तावस्था में पड़ी साइलेन स्टेनोफाइला लगभग पूरी तरह सुरक्षित अवस्था में था. वैज्ञानिकों ने साइलेन स्टेनोफाइला के अपरिपक्व बीजों से ऊतक निकाला. ऊत्तक को एक विशेष पोषक घोल में रख दिया गया. कुछ समय बाद पेट्री डिश में रखा गया ऊतक परिपक्व बीज बन गया. इसे मिट्टी में बो दिया गया और पौधा उग आया.
रूस के कोशिका जैव-भौतिकी संस्थान के डेविड गिलिचिंस्की के अनुसार पुनर्जीवित पौधों और आज के साइलेन स्टेनोफाइला के बीच पुष्प दलों के आकार व लिंग में मामूली अंतर पाया गया. अनुसंधान दल ने बताया कि सुप्तावस्था में पड़ी ऊतक कोशिकाएं प्रयोग के लिए बिल्कुल उपयुक्त सामग्री थीं. उनमें उच्च मात्रा में चीनी मौजूद थी. इस चीनी की वजह से ही पौधे इतनी लंबी सुप्तावधि के दौरान जिंदा बने रहे. ज्ञातव्य हो कि साइबेरियन टुंड्रा क्षेत्र में साइलेन स्टेनोफाइला अभी भी उगता है. हालांकि यह प्राचीन पौधे से अलग तरह का होता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation