61 कैवेलरी ने 24 फरवरी 2017 को आर्मी सर्विस कॉर्प्स को हराकर आर्मी पोलो चैंपियनशिप जीत ली. नई दिल्ली में खेले गए फाइनल मैच में 61 कैवेलरी ने आर्मी सर्विस कॉर्प्स को हराया.
31जनवरी 2017 को शुरु हुआ मशहूर आर्मी पोलो चैंपियनशिप में आर्टिलरी कॉर्प्स, रीमाउंट और वेटनरी कॉर्प्स और आर्मर्ड कॉर्प्स ने हिस्सा लिया.
अश्वारोही खेल में काफी समय से सेना का वर्चस्व रहा है और इसने बड़ी संख्या में एशियाई खेलों के पदक विजेता, विश्व कप खिलाड़ी, पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले खिलाड़ी दिए हैं. यह चैंपियनशिप अपने मिशन ओलंपिक प्रोग्राम की तैयारियों में जुटा है.
61 कैवेलरी रेजिमेंट में पोलो खेलने की परंपरा भी है और इसने भारत को कुछ बेहरीन पोलो खिलाड़ी भी दिए हैं.
लेफ्टि. जनरल आरवी कानित्कर, क्वार्टर मास्टर जनरल, ने कई वरिष्ठ अधिकारियों समेत ढेरों दर्शकों की उपस्थिति में 61 कैवेलरी को आर्मी पोलो चैंपियनशिप की ट्रॉफी प्रदान की.
आर्मी पोलो चैंपियनशिप के बारे में:
आर्मी पोलो चैंपियनशिप को दस वर्ष के अंतराल के बाद वर्ष 2015 में फिर से शुरु किया गया था. इसके फिर से शुरु होने के बाद से, इस चैंपियनशिप में भारतीय पोलो सर्किट के कुछ प्रतिष्ठित खिलाड़ियों जैसे कर्नल नवजीत सिंह संधू और लेफ्टि. कर्नल रवि राठौर, ने हिस्सा लिया. इन्होंने क्रमशः +2 और +5 हैंपिकैप्स पर खेला. लेफ्टि. कर्नल रवि राठौर जो भारतीय आर्मी के सबसे अधिक हैंडीकैप्ड पोलो खिलाड़ी है, ने भारतीय पोलो टीम के लिए चार विश्व कप भी खेले हैं.
61 कैवेलरी रेजिमेंट:
भारतीय सेना की 61 कैवेलरी रेजिमेंट दुनिया में बाकी बची सबसे बड़ी गैर– औपचारिक घोड़सवार कैवेलरी यूनिट है. रिपोर्टों की मानें तो, यह रेजिमेंट राजपूतों, मराठों और किमखानिशों को बराबर संख्या में भर्ती करता है. यह अनुपात भूतपूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्देशों के अनुसार तय किया गया था.
हाल के दिनों में, 62वीं कैवेलरी दुनिया में सीमित गैरमशीनीकृत घुड़सवार कैवेलरी रेजिमेंटों मेंसे एक है. दुनिया के चंद गैरमशीनीकृत घुड़सवार कैवेलरी रेजिमेंटों में शामिल हैं मास्को मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट का 11वां कैवेलरी रेजिमेंट और हाउसहोल्ड कैवेलरी माउंटेड रेजिमेंट.
मुख्य रूप से औपचारिक अवसरों के लिए नियुक्त 61 कैवेलरी रेजिमेंट को जरूरत पड़ने पर आंतरिक सुरक्षा या पुलिस भूमिकाओं में नियुक्त किया जा सकता है. पिछली बार, 1971 में हुए भारत– पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस रेजिमेंट ने सक्रिए सैन्य सेवाएं दी थीं और घुड़सवार गश्ती का काम किया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation