भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे द्वारा 18 जनवरी 2017 को जारी अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया कि वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और मुंबई में लगभग 81 हज़ार लोगों की मृत्यु हुई.
यह अध्ययन शोधकर्ता कमल ज्योति माजी की अध्यक्षता में किया गया. इसमें पाया गया कि प्रदूषण बढ़ने से पिछले 30 वर्षों में वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और मुंबई में 81 हज़ार वयस्कों को समयपूर्व अपनी जान गंवानी पड़ी. शोधकर्ताओं ने पीएम-10 के असर पर शोध करते हुए यह आंकड़े एकत्रित किये.
अध्ययन के मुख्य बिंदु
• मुंबई के पिछले 30 वर्षों तथा दिल्ली के 2015 के आंकड़ों में कुल 80,665 लोगों की मृत्यु हुई.
• वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण से दोनों शहरों पर 10.66 बिलियन डॉलर (लगभग 70 हज़ार करोड़ रुपये) का अतिरिक्त बोझ पड़ा. यह राशि देश के कुल सकल घरेलु उत्पाद का 0.71 प्रतिशत है.
• प्रदूषण के इस वृहद स्तर के कारण दिल्ली में पीएम-10 से अधिक मौते हुईं. इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थल एवं अन्य औद्योगिक इकाइयां शामिल हैं.
• वर्ष 1995 में दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण 19,716 मौतें हुई थीं जबकि 2015 में यह संख्या 48,651 थी.
• मुंबई में पिछले 20 वर्षों में यह आंकड़ा 19,291 से 32,014 तक पहुंच गया.
• वायु प्रदूषण के कारण 23 मिलियन केस ऐसे रहे जिनमे लोगों की उत्पादक क्षमता घट गयी हो.
• वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण के कारण मुम्बई के 64,037 लोगों ने आपातकालीन सुविधा ली जबकि दिल्ली में 0.12 मिलियन लोगों ने आपातकालीन सेवाओं की सहायता ली.
• दोनों शहरों में प्रदूषण का स्तर सुधारने में मुंबई को 10.66 बिलियन (मुंबई) तथा दिल्ली को 135 प्रतिशत (6.39 बिलियन डॉलर) का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है.
• वर्ष 2030 में वर्तमान स्वास्थ्य आंकड़ों को यथावत बनाये रखने के लिए मुंबई में पीएम-10 के स्तर में 44 प्रतिशत तथा दिल्ली में 67 प्रतिशत की कमी लानी होगी.
आईआईटी द्वारा किया गया यह अध्ययन हाल ही में एनवायरनमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया. इस शोध का लेखन शोधकर्ता कमल ज्योति माजी, आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर अनिल दीक्षित एवं अशोक देशपांडे द्वारा किया गया.
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