संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने हाल ही में इतिहास रच दिया है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का अंतरिक्ष यान 'होप' मंगल ग्रह के और नजदीक पहुंच गया है. यूएई की अंतरिक्ष एजेंसी ने इतिहास रचते हुए पहली ही कोशिश में अपने अंतरिक्षयान को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है.
यूएई का होप यान लगभग 120,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है. मंगल के गुरुत्वाकर्षण बल के पकड़ में आने के लिए यूएई के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्षयान के इंजन को लगभग 27 मिनट तक चालू रखा. सीएनएन के अनुसार, मंगल पर यूएई का पहला मिशन 09 फरवरी को लाल ग्रह के और करीब पहुंचा और पहले प्रयास में ही सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश कर गया.
यूएई के मार्स मिशन
'होप प्रोब'(Hope Probe) के नाम से जाना जाने वाले यूएई के मार्स मिशन ने एक संकेत भेजकर पुष्टि की कि यह कक्षा में प्रवेश कर चुका है. मार्स ऑर्बिट इंसर्शन अब पूरा हो गया है. जब अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा तो लाल ग्रह पर ऐसा करने वाला वह दुनिया का पांचवा देश बन गया और अरब देशों में वह पहला देश बना.
होप मार्स मिशन
होप मार्स मिशन को साल 2014 में यूएई के राष्ट्रपति हिज हाइनेस शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान और महामहिम शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम द्वारा घोषित सबसे बड़ी रणनीतिक और वैज्ञानिक राष्ट्रीय पहल माना जाता है. अमीरात मंगल मिशन या होप मंगल मिशन (The Emirates Mars Mission या Hope Mars Mission) संयुक्त अरब अमीरात द्वारा मंगल ग्रह के लिए एक अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम है.
यूएई के अंतरिक्षयान का उद्देश्य
यूएई का होप यान अगले कुछ महीने तक मंग्रल ग्रह के वातावरण का अध्ययन करेगा. यूएई के इस मिशन का लक्ष्य मंगल ग्रह के पहले ग्लोबल मैप को तैयार करना भी है. ये मिशन इसलिए खास है क्योंकि इससे पहले के रोवर मंगल के चक्कर ऐसे काटते थे कि वह दिन के सीमित समय में ही उसके हर हिस्से को मॉनिटर कर पाते थे. इससे अलग होप का ऑर्बिट अंडाकार है जिसे पूरा करने में इस रोवर को 55 घंटे लगेंगे. इसकी वजह से यह मंगल के हिस्सों पर दिन और रात में ज्यादा समय के लिए नजर रख सकेगा.
वैज्ञानिकों के सामने सबसे ज्यादा खतरा
वैज्ञानिकों के सामने सबसे ज्यादा खतरा इस अंतरिक्षयान की स्पीड थी. उन्हे डर था कि यदि वह तेजी से जाता है तो होप मंगल ग्रह से दूर निकल जाएगा और अगर होप धीमे जाता है तो वह मंगल ग्रह पर नष्ट हो जाएगा. हालांकि, यूएई के वैज्ञानिकों ने इन सब पर जीत पाते हुए अपने मिशन को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में पहुंचा दिया.
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