कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ में उत्पादित सिरसी सुपारी (Sirsi Supari) को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया गया है. पहली बार किसी सुपारी को जीआई टैग दिया गया है.
चेन्नई स्थित ज्योग्राफिक इंडिकेशन रजिस्ट्री ने 04 मार्च 2019 को इसे जीआई टैग प्रदान किया गया था और इसकी जीआई संख्या 464 है.
सिरसी सुपारी येलापुरा, सिद्दापुरा एवं सिरसी में उत्पादित किया जाता है. सिरसी सुपारी विशिष्ट प्रकार का उत्पाद है और यह गोलाकर तथा सिक्का की तरह सपाट है. यह विशिष्टता किसी अन्य प्रकार की सुपारी में नहीं पायी जाती.
भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) के बारे में:
• जीआई टैग अथवा भौगोलिक चिन्ह किसी भी उत्पाद के लिए एक चिन्ह होता है जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के लिए दिया जाता है और यह सिर्फ उसकी उत्पत्ति के आधार पर होता है.
• ऐसा नाम उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है.
• दार्जिलिंग चाय, महाबलेश्वर स्ट्रोबैरी, जयपुर की ब्लूपोटेरी, बनारसी साड़ी और तिरूपति के लड्डू कुछ ऐसे उदाहरण है जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ है.
• जीआई उत्पाद दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों, बुनकरों शिल्पों और कलाकारों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा सकते हैं.
• ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले हमारे कलाकारों के पास बेहतरीन हुनर, विशेष कौशल और पारंपरिक पद्धतियों और विधियों का ज्ञान है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है और इसे सहेज कर रखने तथा बढ़ावा देने की आवश्यकता है.
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