असम विधानसभा ने राज्य के धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए विधेयक पारित किया

Sep 4, 2020, 15:31 IST

असम के धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए विधानसभा विधेयक: ऐसे मूर्त धरोहर (विरासत) स्थलों की रक्षा, संरक्षण और पुनर्स्थापन करने के लिए असम की राज्य विधानसभा ने विधेयक पारित किया है, जो वर्तमान में किसी भी राष्ट्रीय या राज्य कानून के तहत शामिल नहीं हैं.

Assam Assembly passes bill to protect state’s heritage sites in Hindi
Assam Assembly passes bill to protect state’s heritage sites in Hindi

असम के धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए विधानसभा विधेयक: एक नवीनतम जानकारी के अनुसार, असम की विधानसभा ने अपने राज्य के ऐसे विभिन्न धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए एक विधेयक पारित किया है. यह असम धरोहर (मूर्त) रक्षण, संरक्षण, परिरक्षण और रखरखाव विधेयक, 2020 असम राज्य विधानसभा द्वारा ऐसे मूर्त धरोहर स्थलों की रक्षा, संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए पारित किया गया था, जो वर्तमान में किसी भी राष्ट्रीय या राज्य कानून के तहत शामिल नहीं हैं. इस 31 अगस्त 2020 से शुरू होने वाले 4-दिवसीय विधानसभा सत्र में यह विधेयक पारित किया गया था. इस विधेयक के पारित होने के बाद, राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम समझौते के खंड 6 को लागू करने की दिशा में इसे एक ’ऐतिहासिक’ कदम बताया है. असम राज्य सांस्कृतिक मामलों (पुरातत्व) के मंत्री केशब महंत के मार्गदर्शन में पुरातत्व निदेशालय द्वारा इस बिल का मसौदा तैयार किया गया है.

असम समझौते का खंड 6 क्या है?

असम समझौते के खंड 6 के अनुसार, असमिया लोगों की संस्कृति, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और संरक्षण के लिए राज्य सरकार को ऐसे सभी संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार प्रदान किया जाएगा, जो उचित हों.

इस नए बिल के तहत कवर की जाने वाली मूर्त धरोहर क्या है?

इस समझौते के अनुरूप, हाल ही में पारित यह विधेयक राज्य की मूर्त विरासत की रक्षा, संरक्षण और जीर्णोद्धार करेगा. इसमें विभिन्न संग्रहालय वस्तुओं जैसे सिक्के, मूर्तियां, पांडुलिपियां, एपिग्राफ या कला और शिल्प कौशल के अन्य कार्य और स्वदेशी लोगों की सभी सांस्कृतिक कलाकृतियों को शामिल किया गया है. इसके अलावा, विरासत स्थल जैसेकि मठ, स्तूप, नामघर, मस्जिद, दरगाह, और चर्चों के अलावा पारंपरिक वास्तुकला वाले सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थानों और बस्ती संरचनाओं के साथ-साथ राज्य में बने विभिन्न स्मारकों और उनके परिसरों को भी इस नए कानून के तहत शामिल किया जाएगा.

इस विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, ऐसी सभी धरोहरों को मूर्त विरासत के तहत कवर किया गया है जो कम से कम 75 वर्षों से अस्तित्व में हैं और जो असम प्राचीन स्मारक और रिकॉर्ड अधिनियम, 1959 के तहत कवर नहीं हैं, उन्हें इस नए कानून के तहत संरक्षित किया जाएगा.

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