उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या और मथुरा को नगर निगम बनाने का फैसला किया है. 09 मई 2017 को आयोजित योगी कैबिनेट ने इस निर्णय को स्वीकृति प्रदान की.
पहले को अयोध्या नगर निगम और दूसरे को मथुरा (वृंदावन) नगर निगम नाम प्रदान किया गया है. अभी तक ये दोनों शहर नगर पालिका के दायरे में आते थे. नगर निगम बनने के बाद इन शहरों में केंद्र सरकार की जेएनएनयूआरएम जैसी योजनाओं के लाभ के साथ ही हाउस टैक्स और दूसरे करों से राजस्व बढ़ेगा.
इसी सत्र में चुनाव-
प्रदेश सरकार के अनुसार इन दोनों नगर निगमों में जल्दी ही होने वाले निकाय चुनाव भी आयोजित कराए जाएंगे. प्रदेश सरकार द्वारा जल्दी ही नगर निगमों के गठन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा.
बुनियादी सुविधाएं-
- नगर निगम के दायरे में आने के बाद सड़कों का निर्माण, बिजली, पेयजल और शौचालय की सुविधा भी बढ़ जाएगी.
- आवागमन के साधन सुगम बनाने हेतु इन्हें रोड, रेल और हवाई यातायात से भी जोड़ा जाएगा. प्रदेश सरकार यहां रोजगार के साधन भी उपलब्ध कराएगी.
- अयोध्या में सरयू और मथुरा में यमुना का शुद्धीकरण भी कराया जाएगा.
- मथुरा-वृन्दावन की धार्मिक संस्कृति का अंतरराष्ट्रीय महत्व है इसलिए स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधा देने हेतु यह निर्णय लिया गया.
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा-
- उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा के अनुसार 'फैजाबाद और अयोध्या को मिलाकर एक नगर निगम बनाया जाएगा. इसी तरह मथुरा और वृन्दावन को भी मिलाकर नगर निगम का गठन किया जाएगा. प्रदेश सरकार का लक्ष्य धार्मिक नगरियों के विकास के साथ ही श्रद्धालुओं को विश्व स्तरीय सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना है.
- अयोध्या और मथुरा में हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं.
- यहां पर्यटन का विकास होगा तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
- आने वाले वक्त में अयोध्या को रेल और सड़क मार्ग से मजबूती से जोड़ा जाएगा. हवाई कनेक्टिविटी भी दी जाएगी.
प्रदेश कैबिनेट के अन्य फैसले-
- स्टांप विवाद की सुनवाई होगी आसान
- स्टांप विवाद की सुनवाई आसानी से हो सके, सरकार ने इसके लिए अलग-अलग रकम के विवादों को अलग-अलग लेवल के अधिकारियों के बीच बांट दिया है. कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब 25 लाख रुपये से ऊपर के स्टांप विवाद के मामले की सुनवाई अब बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के मेंबर करेंगे.
- वहीं 25 लाख रुपये तक के स्टांप विवाद की सुनवाई अब कमिश्नर के पास होगी.
- इसके अलावा एडिश्नल कमिश्नर और डीआईजी स्टांप 10 लाख रुपये तक के स्टांप विवादों का निपटारा करेंगे.
- अभी तक ज्यादातर स्टांप विवाद के निपटारे शासन स्तर से होते थे या फिर जिलाधिकारी से स्तर से जिसकी वजह से इन मामलों के निपटारे में काफी वक्त लगता था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation