स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दुधारु पशुओं से दूध निकालने के लिए देश में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाने वाली आक्सीटॉक्सीन दवा के निजी क्षेत्र में निर्माण पर एक जुलाई से रोक लगा दी है. साथ ही विदेश से भी इसके आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
निजी क्षेत्र के दवा निर्माताओं को घरेलू उपयोग के लिए एक जुलाई से आक्सीटॉक्सीन के उत्पादन की इजाजत नहीं दी जाएगी. सार्वजनिक क्षेत्र के कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्वीटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) घरेलू उपयोग के लिए इस दवा को तैयार करेगी.
घोषणा के मुख्य तथ्य
• ऑक्सीटोसिन पर प्रतिबंध 1 जुलाई 2018 से प्रभावी हो जाएगा. ऑक्सीटोसिन का आयात पहले से ही प्रतिबंधित है.
• एक जुलाई से कोई भी कंपनी घरेलू इसे उपयोग करने के लिए इस दवा का उत्पादन नहीं कर सकेगी.
• ऑक्सीटोसिन आमतौर पर डेयरी उद्योग में दुधारू पशुओं के लिए प्रयोग किया जाता है.
• कर्नाटक स्थित एंटी बायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (केएपीएल) इस दवा का निर्माण कररेगा लेकिन बाकी कंपनियों के लिए इसका निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है.
मंत्रालय का निर्देश |
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी पंजीकृत अस्पतालों और चिकित्सालयों को सलाह दी है कि वे ऑक्सीटॉसिन खरीदने के लिए केवल केएपीएल से संपर्क कर अपना ऑर्डर बुक करा सकते हैं. यह दवा अब किसी और रिटेल स्टोर पर नहीं मिलेगी. इसकी बिक्री किसी अन्य नाम या किसी अन्य कम्पनी द्वारा किए जाने पर उचित कारवाई की जाएगी. |
ऑक्सीटोसिन का उपयोग
• ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का उपयोग आमतौर पर दूध देने वाले पशुओं पर अतिरिक्त दूध देने के लिए किया जाता है.
• इसका इंजेक्शन लगा देने से पशु किसी भी समय दूध दे सकता है. यह स्वत: उत्पन्न होने वाला हार्मोन है जो कि गर्भाशय के संकुचन का कारण बनता है.
• इसके उपयोग से पशुओं में प्राकृतिक क्षमता कम होती है तथा दूध की गुणवत्ता में भी कमी आती है.
• वर्तमान समय में इसका उपयोग खेती में भी किया जा रहा है. आमतौर पर कद्दू, तरबूज, बैंगन, खीरा आदि का आकार बढ़ाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है.
• इससे सब्जियों का आकार रातों-रात बढ़ाया जाता है जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है.
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