बीईएल को नेवी के लिए मिसाइल बनाने का अनुबंध प्राप्त हुआ

Sep 7, 2018, 10:22 IST

बीईएल के साथ किये गये इस समझौते की लागत 9,200 करोड़ रुपये है. बीईएल का यह समझौता मैज़गौन डॉक लिमिटेड (एमडीएल) एवं गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजिनियर्स (जीआरएसई) के साथ हुआ है.

BEL gets contract for surface to air missiles
BEL gets contract for surface to air missiles

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को 05 सितंबर 2018 को भारतीय नौसेना के लिए लम्बी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआरएसएएम) बनाने हेतु अनुबंध प्राप्त हुआ है.

बीईएल के साथ किये गये इस समझौते की लागत 9,200 करोड़ रुपये है. बीईएल का यह समझौता मैज़गौन डॉक लिमिटेड (एमडीएल) एवं गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजिनियर्स (जीआरएसई) के साथ हुआ है.

समझौते के मुख्य बिंदु


•    भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा बनाई जाने वाली मिसाइलें (एलआरएसएएम) सात नौसेनिक जहाजों पर तैनात की जायेंगी.

•    बीईएल द्वारा किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा समझौता है.

•    आकाश मिसाइल के प्रमुख निर्माता सहयोगी रही बीईएल ने टर्नकी मिसाइल सिस्टम में अपनी क्षमता दिखाई है.

•    बीईएल इस समझौते के साथ ही थल सेना के लिए क्विक रिस्पांस सिस्टम मिसाइल (क्यूआरएसएएम), मीडियम रेंज सरफेस मिसाइल (एमआरएसएएम) वायु सेना के लिए तथा लॉन्ग रेंज सरफेस तो एयर मिसाइल (एलआरएसएएम) नौसेना के लिए निर्माण करेगी.

एलआरएसएएम मिसाइल प्रणाली के बारे में

•    भारत की सबसे पहले एलआरएसएएम प्रणाली को डीआरडीओ और इजराइल के आइएआइ के मध्य एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से विकसित किया गया.

•    एलआरएसएएम हवाई लक्ष्यों और मिसाइलों के खिलाफ एक उन्नत मिसाइल रक्षा कवच है.

•    यह हवा और सतह की निगरानी, खतरे की चेतावनी और आग पर नियंत्रण की पूर्ण क्षमता रखती है.

•    मिसाइलों के उड़ान की गति को आईटीआर में स्थापित राडारों और विद्युत ऑप्टिकल प्रणालियों द्वारा पता लगाकर नज़र रखी जा सकती है.

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन एक सैन्य एवं नागरिक उपकरण एवं संयंत्र निर्माण ईकाई है. भारत सरकार द्वारा सन 1954 में सैन्य क्षेत्र की विशेष चुनौतीपूर्ण आवश्यकताऐं पूरी करने हेतु रक्षा मन्त्रालय के अधीन इसकी स्थापना की गई थी. इलेक्ट्रानिक उपकरण व प्रणालियों का विकास तथा उत्पादन देश में ही करने के उद्देश्य से इसका पहला कारखाना बंगलुरू में लगाया गया था, किन्तु आज यह अपनी नौ उत्पादन इकाईयों, कई क्षेत्रीय कार्यालय तथा अनुसन्धान व विकास प्रयोगशालाओं से युक्त सार्वजनिक क्षेत्र का एक विशाल उपक्रम है, जिसे अपने व्यावसायिक प्रदर्शन के फलस्वरूप भारत सरकार से नवरत्न उद्योग का स्तर प्राप्त हुआ है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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