बिहार की महागठबंधन सरकार ने 27 फ़रवरी 2017 को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट प्रस्तुत किया. बजट बिहार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने विधानसभा पटल पर रखा. वित्तमंत्री के अनुसार अर्थव्यवस्था बहते पानी की तरह है, जो हमेशा बदलती रहती है.
बिहार प्रदेश में आर्थिक संकट के बावजूद वर्ष 2016-17 की तुलना में 2017-18 के बजट के आकार में करीब 17 प्रतिशत की वृद्धि की गई. वर्तमान बजट का आकार 1.44 लाख करोड़ रुपये रखा गया है. बजट को मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति की.
बजट में पहली बार 1 लाख 60 हजार करोड़ पूंजीगत व्यय का अनुमान है. वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी का भाषण सिर्फ 22 मिनट में खत्म हो गया. बजट में कैशलेश टैक्स कलेक्शन पर जोर दिया गया.
वित्तीय वर्ष 2017-18 की वार्षिक बजट योजना अस्सी हजार करोड़ रुपये निर्धारित की गई है. लोकायुक्त हेतु पांच करोड़ की राशि मंजूर की गई है. राजकोषीय घाटे को नियंत्रण करना राज्य सरकार ने प्राथमिकता पर रखा है.
बजट के मुख्य तथ्य-
• बजट में महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर खास फोकस किया गया.
• बुनकरों की स्थिति को बेहतर बनाने हेतु उनके कौशल विकास पर खासा ध्यान दिया गया है.
• शराबबंदी से होनेवाले नुकसान की भरपाई का प्रयास राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा.
• बजट में वाणिज्यकर के लक्ष्य को बढ़ाया गया है.
• बजट में राजकोषीय घाटा 2.87 प्रतिशत है.
बजट में प्रस्तावित योजनाएं-
• वित्तमंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि बिहार में बैंकों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
• बैंक खाताधारियों को प्लास्टिक मनी देने पर जोर दिया जाएगा.
• नोटबंदी के बाद के झंझावातों से उबरने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
• बिहार पर नोटबंदी का असर न पड़े इसके लिए अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु उपाय किए जाएंगे.
• प्रदेश में अभियान चलाकर पीओएस मशीनें स्थापित कराई जाएंगी.
• राज्य में कर चोरी रोकने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.
• चतुर्थ ग्रेड कर्मचारियों के लिए आवास योजना
नए बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क और कृषि समेत सात निश्चय कार्यक्रम के तहत होने वाले कार्यों को प्राथमिकता प्रदान की गई है. प्राथमिकता के आधार पर ही निश्चित की गयी सात योजनाओं को राशि आवंटित की गई है.
योजना मद में 80 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान-
राज्य सरकार ने बजट में 80 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान योजना मद में किया. जबकि 86 हजार करोड रुपये का प्रावधान गैरयोजना मद में किया है. चालू वित्तीय वर्ष के बजट की तुलना में नए बजट में 22 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है.
राज्यकर्मियों के लिए सातवां वेतनमान-
नीतीश सरकार ने बिहार में अगले वित्तीय वर्ष में राज्य कर्मियों को सातवां वेतनमान भी देने की घोषणा की है. वित्त विभाग ने सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने हेतु साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ वहन करने की व्यवस्था की.
राज्य कर्मियों को सातवां वेतनमान देने हेतु राज्य सरकार ने पहले ही पूर्व मुख्य सचिव जीएस कंग की अध्यक्षता में राज्य वेतन आयोग का गठन किया.
सरकार पर अतिरिक्त बोझ-
14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्य सरकार को वर्तमान मे केंद्र से करीब 50 हजार करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है. शराबबंदी के कारण भी प्रति वर्ष करीब 4,000 करोड़ रुपये के राजस्व से राज्य सरकार को वंचित होना पड़ रहा है.
पिछले वर्ष से ही केंद्र सरकार ने लगभग सभी केंद्रीय योजनाओं में केंद्रांश कम कर देने से भी राज्य सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ा है.
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