कौन सा शहर एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना?

Aug 22, 2025, 17:30 IST

क्या आप जानते हैं कि कौन सा शहर एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना था? इलाहाबाद (अब प्रयागराज) 4 जनवरी, 1858 को सिर्फ एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना। आइए, जानते हैं कि यह ऐतिहासिक घटना क्यों हुई और भारतीय इतिहास में इसका क्या महत्व है।

City that become capital of india for a day
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कौन सा शहर एक दिन के लिए राजधानी था?

इलाहाबाद, जिसे अब आधिकारिक तौर पर प्रयागराज के नाम से जाना जाता है, का इतिहास में एक अनोखा स्थान है। यह शहर सिर्फ एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना था। यह दुर्लभ घटना 4 जनवरी, 1858 को ब्रिटिश शासन काल के दौरान हुई थी।

इलाहाबाद को क्यों चुना गया?

ऐसा तब हुआ जब अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह को सफलतापूर्वक दबा दिया था। उस दिन, इलाहाबाद के मिंटो पार्क (अब मदन मोहन मालवीय पार्क) में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था। यहीं पर ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन को सत्ता के हस्तांतरण की आधिकारिक घोषणा की गई। चूंकि यह घोषणा एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक थी, इसलिए इस अवसर के लिए इलाहाबाद को अस्थायी रूप से राजधानी माना गया।

ऐतिहासिक महत्व

यह घटना ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अंत और ब्रिटिश क्राउन के सीधे शासन की शुरुआत का प्रतीक थी। इसी समय महारानी विक्टोरिया की घोषणा को पढ़कर सुनाया गया था। इसमें ब्रिटिश कानून के तहत समान व्यवहार और भारतीय अधिकारों की सुरक्षा का वादा किया गया था। हालांकि, असल में इसके बाद ब्रिटिश नियंत्रण और भी गहरा हो गया।

भारतीय इतिहास में इलाहाबाद की भूमिका

एक दिन की राजधानी का यह दर्जा पाने के अलावा भी इलाहाबाद एक प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है। यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई अधिवेशन हुए और यह मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जैसे प्रमुख नेताओं का घर भी था।

इलाहाबाद के बारे में रोचक तथ्य

सिर्फ एक दिन की राजधानी: इलाहाबाद भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जिसे इतिहास में सिर्फ एक दिन के लिए आधिकारिक तौर पर राजधानी का दर्जा मिला। यह इसे एक बहुत ही अनोखी घटना बनाता है।

महारानी की घोषणा: यह घोषणा कई भारतीय भाषाओं में पढ़ी गई थी, ताकि यह अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों तक पहुंच सके। इससे इसका राष्ट्रीय महत्व पता चलता है।

ऐतिहासिक स्थल: यह घोषणा मिंटो पार्क में हुई थी, जो आज भी प्रयागराज का एक ऐतिहासिक स्थल है।

विद्रोह का परिणाम: यह फैसला सीधे तौर पर 1857 के विद्रोह से जुड़ा था, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण विद्रोहों में से एक था।

सांस्कृतिक विरासत: आज भी, प्रयागराज में ऐतिहासिक दौरों और भाषणों के दौरान इस घटना को याद किया जाता है, जिससे इसकी विरासत जीवित है।

Mahima Sharan
Mahima Sharan

Sub Editor

Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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