बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) द्वारा जवानों का वार्षिक मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण कराये जाने घोषणा की गयी. अभी तक जवानों के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए केवल वार्षिक फिजिकल टेस्ट ही लिया जाता था.
मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण शुरू करने का कारण |
अर्द्धसैनिक बलों में आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बाद बीएसएफ ने सभी कर्मियों के लिए एक वार्षिक मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण परीक्षा अनिवार्य कर दी है. इस परीक्षण से यह पता चलेगा कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ्य हैं या नहीं. उनके टेस्ट के आधार पर ही उन्हें ड्यूटी दी जाएगी और उनकी समस्या दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. |
बीएसएफ द्वारा उठाए कदम:
• बीएसएफ ने दिशा-निर्देषों का एक सेट तैयार किया है जिसमें उनके मनोरंजन का समय सुनिश्चित किया गया है.
• उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर समय-समय पर बैठकें भी आयोजित की जाएंगी जिसमें सभी जवान अपनी व्यक्तिगत कहानियां भी साझा करेंगे.
• जो जवान छुट्टी से लौटेंगे उनका साक्षात्कार लिया जाएगा.
• साथ ही जवानों को हो रहीं परेशानियों और शिकायतों का पता लगाने के लिए भी एक औपचारिक तंत्र शुरू किया जा रहा है.
• क्षेत्रीय यूनिटों में जल्द ही बुकलेट जारी की जाएंगी ताकि तनावग्रस्त जवानों की मदद की जा सके. साथ ही ग्रुप गेम, अच्छी डाइट और उचित स्वास्थ्य सेवा पर भी ध्यान दिया जाएगा.
• इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान दिया जाएगा कि उन्हें गेम खेलने, किताब पढ़ने और फिल्म देखने का समय मिल सके.
बीएसएफ चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी गई:
इसके लिए लगभग 2,000 बीएसएफ चिकित्सकों को क्लीनिकल मनोविज्ञान में ट्रेनिंग दी गई. यह ट्रेनिंग लंदन के मनोचिकित्सकों के सलाह के बाद दी गई ताकि वे परीक्षा लेकर जवानों के मानसिक स्वास्थ्य का पता लगा सकें. इस प्रोग्राम का नाम 'हॉलिस्टिक वेल बींग इंटरवेन्शन' (समग्र भलाई हस्तक्षेप) रखा गया है.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ):
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) भारत का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल है. बीएसएफ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है. इसका गठन 1 दिसम्बर 1965 में हुआ था. इसकी जिम्मेदारी शांति के समय के दौरान भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निरंतर निगरानी रखना, भारत भूमि सीमा की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकना है.
इस समय बीएसएफ की 188 बटालियन है. यह 6,385.36 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है जो कि पवित्र, दुर्गम रेगिस्तानों, नदी-घाटियों और हिमाच्छादित प्रदेशों तक फैली है. सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा बोध को विकसित करने की जिम्मेदारी भी बीएसएफ को दी गई है.
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पृष्ठभूमि:
सरकार द्वारा पिछले एक साल से जवानों में लगातार बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं और उनके कारणों पर अध्ययन किया गया. अधिकारियों के मुताबिक जांच से पता चला है आत्महत्या के मामले उन्हीं कर्मियों में अधिक देखे गए हैं जिनकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि कमजोर है.
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