केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पोक्सो अधिनियम, 2012 में संशोधन की मंजूरी दी

Dec 30, 2018, 09:25 IST

इस विधेयक के द्वारा 12 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के यौन शोषण के लिए 20 वर्ष की कैद अथवा मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है, जबकि 12 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं के सामूहिक यौन शोषण के लिए उम्र कैद अथवा मृत्युदंड का प्रावधान है.

Cabinet approves amendment in POSCO Act, 2012 to protect children from sexual abuse
Cabinet approves amendment in POSCO Act, 2012 to protect children from sexual abuse

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 दिसंबर 2018 को बच्‍चों के खिलाफ यौन अपराध करने पर दंड को अधिक कठोर बनाने के लिए बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है.

 

पोक्‍सो अधिनियम:

पोक्‍सो अधिनियम 2012 को बच्‍चों के हित और भलाई की सुरक्षा का ध्‍यान रखते हुए बच्‍चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न और पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिए लागू किया गया था.

यह अधिनियम बच्‍चे को 18 वर्ष से कम आयु के व्‍यक्ति के रूप में परिभाषित करता है और बच्‍चे का शारीरिक, भावनात्‍मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिए हर चरण को ज्‍यादा महत्‍व देते हुए बच्‍चे के श्रेष्‍ठ हितों और कल्‍याण का सम्‍मान करता है. इस अधिनियम में लैंगिक भेदभाव नहीं है.

इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

 

प्रस्तावित संशोधन:

•   कैबिनेट ने पोक्‍सो अधिनियम, 2012 की धारा - 4, धारा – 5, धारा – 6, धारा – 9, धारा – 14, धारा – 15 और धारा – 42 में संशोधन बाल यौन अपराध के पहलुओं से उचित तरीके से निपटने के लिए किया है.

   यह संशोधन देश में बाल यौन अपराध की बढ़ती हुई प्रवृति को रोकने के लिए कठोर उपाय करने की जरूरत के कारण किया जा रहा है.

   बाल यौन अपराध की प्रवृति को रोकने के उद्देश्‍य से एक निवारक के रूप में कार्य करने के लिए इस अधिनियम की धारा - 4, धारा – 5और धारा – 6का संशोधन करने का प्रस्‍ताव किया गया है, ताकि बच्‍चों को यौन अपराध से सुरक्षा प्रदान करने के लिए आक्रामक यौन अपराध करने के मामले में मृत्‍युदंड सहित कठोर दंड का विकल्‍प प्रदान किया जा सके.

   प्राकृतिक संकटों और आपदाओं के समय बच्‍चों को यौन अपराधों से संरक्षण और आक्रामक यौन अपराध के उद्देश्‍य से बच्‍चों की जल्‍द यौन परिपक्‍वता के लिए बच्‍चों को किसी भी तरीके से हार्मोन या कोई रासायनिक पदार्थ खिलाने के मामले में इस अधिनियम धारा – 9 में संशोधन करने का भी प्रस्‍ताव किया गया है.

•   बाल पोर्नोग्राफी की बुराई से निपटने के लिए पोक्‍सो अधिनियम, 2012 की धारा – 14 और धारा-15 में भी संशोधन का प्रस्‍ताव किया गया है. बच्‍चों की पोर्नोग्राफिक सामग्री को नष्‍ट न करने/डिलिट न करने/ रिपोर्ट करने पर जुर्माना लगाने का प्रस्‍ताव किया गया है.

   व्‍यक्ति को इस प्रकार की सामग्री का प्रसारण/प्रचार/किसी अन्‍य तरीके से प्रबंधन करने के मामले में जेल या जुर्माना या दोनों सजाएं देने का प्रस्‍ताव किया गया है. न्‍यायालय द्वारा यथा निर्धारित आदेश के अनुसार ऐसी सामग्री का न्‍यायालय में सबूत के रूप में उपयोग करने के लिए रिपोर्टिंग की जा सकेगी.

•   व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए किसी बच्‍चे की किसी भी रूप में पोर्नोग्राफिक सामग्री का भंडारण/अपने पास रखने के लिए दंड के प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है.

महत्व:

इस संशोधन से इस अधिनियम में कठोर दंड देने के प्रावधानों को शामिल करने के कारण बाल यौन अपराध की प्रवृति को रोकने में सहायता मिलने की उम्‍मीद है. इससे परेशानी के समय निरीह बच्‍चों के हित का संरक्षण होगा और उनकी सुरक्षा और मर्यादा सुनिश्चित होगी. इस संशोधन का उद्देश्‍य यौन अपराध और दंड के पहलुओं के संबंध में स्‍पष्‍टता स्‍थापित करना है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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