केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 04 अप्रैल 2018 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में कटौती को मंजूरी दे दी. सीसीआई में वर्तमान दो रिक्त स्थानों तथा एक अतिरिक्त रिक्त स्थान को नहीं भरकर उसका आकार एक अध्यक्ष और छह सदस्य से घटाकर एक अध्यक्ष और तीन सदस्य करने की मंजूरी है.
हालांकि एक स्थान सितम्बर 2018 में रिक्त होने की उम्मीद है, जबकी वर्तमान एक पदाधिकारी का कार्यकाल पूरा हो जाएगा.
इससे होने वाले फायदे:
- इस प्रस्ताव से आयोग के सदस्यों के तीन पदों में कटौती हो जाएगी, जो न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन के सरकार के उद्देश्य को पूरा करता है.
- सुनवाईयों में तेजी से तब्दीली के कारण शीघ्र स्वीकृति की उम्मीद है, जिससे कॉरपोरेट की व्यवसाय प्रक्रिया तेज होगी और देश में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे.
- देश में विलय और एकीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के सरकार के उद्देश्य के अंतर्गत मंत्रालय ने वर्ष 2017 में अल्पतम स्तरों में संशोधन किया था, जो परिसम्पत्तियों की संगणना और ऐसे कार्यों से जुड़े एक लक्ष्य के कारोबार हेतु अपनाई जाने वाली युक्तियों और कार्य पद्धतियों पर लागू है.
- इससे आयोग में जमा करने के लिए उद्यमों के लिए अनिवार्य नोटिसों में कमी आएगी. इससे आयेाग पर पड़ने वाला बोझ भी कम होगा.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग:
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग भारत की एक विनियामक संस्था है.
- केन्द्र सरकार द्वारा 14 अक्टूबर 2003 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना की गई.
- इसका उद्देश्य स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को बढावा देना है ताकि बाजार उपभोक्ताओं के हित का साधन बनाया जा सके.
पृष्ठभूमि:
प्रतिस्पर्धा कानून, 2002 के अनुच्छेद 8(1) में व्यवस्था है कि आयोग में एक अध्यक्ष होगा तथा दो से कम और छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे.
प्रतिस्पर्धा (संशोधन) कानून, 2007 में कानून के अनुच्छेद 22 में बेंचों के गठन का प्रावधान समाप्त करने के लिए संशोधन किया गया था. इसी संशोधन कानून में एक अध्यक्ष और दो सदस्यों को मिलाकर प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन किया गया.
आयोग के आकार में आनुपातिक कटौती नहीं की गई और इसमें एक अध्यक्ष और दो से कम लेकिन छह से अधिक सदस्य नहीं रखने की व्यवस्था की गई.प्रतिस्पर्धा प्राधिकार का आकारजापान, अमरीका और ब्रिटेन जैसे अनेक प्रमुख अधिकार क्षेत्रों की तरह है.
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