केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 10 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अर्थात् एफडीआई के नियमों में विशेष छूट प्रदान की है. केंद्र सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी प्रदान करने की घोषणा की.
सिंगल ब्रांड रिटेल के साथ ही विनिर्माण तथा वैमानिकी क्षेत्र में भी एफडीआई नियमों को सरल किया गया है. केंद्र सरकार की ओर से एफडीआई नियमों में ढील को आर्थिक सुधारों की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है. इस निर्णय से ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में सुधार आ सकता है तथा एफडीआई के बड़े प्रवाह, निवेश को प्रोत्साहन, आय एवं रोजगार को बढ़ावा मिल सकता है.
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निर्णय के लाभ
• सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 प्रतिशत एफडीआई से विदेशी कम्पनियों को किसी लंबे-चौड़े कार्य कलाप से नहीं गुजरना पड़ेगा.
• इस निर्णय से एयर इंडिया को राहत मिल सकती है क्योंकि एयर इंडिया पर लगभग 52,000 करोड़ रुपए का कर्ज है.
• सरकार का छूट देने का उद्देश्य अधिक विदेशी निवेशकों को अनुकूल वातावरण प्रदान करना है ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके और नौकरियों का सृजन हो सके.
• केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में निवेश करने के लिए 49 प्रतिशत तक विदेशी निवेश को मंजूरी प्रदान की है.
• रीयल एस्टेमट ब्रोकिंग सर्विस रीयल एस्टेरट बिजनेस में नहीं आता है ऐसे में रीयल एस्टे्ट ब्रोकिंग सर्विस में ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी एफडीआई को अनुमति दी गयी है.
सिंगल ब्रांड रिटेल
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि सिंगल ब्रांड रिटेल का अर्थ सिंगल ब्रांड के नाम से बेचा जाता है. उदहारण के लिए जैसे मारुती, मदर डेयरी, विल्स लाइफस्टाइल, रे-बैन आदि. इस प्रकार सरकार द्वारा लिए गये फैसले में जो सिंगल ब्रांड रिटेल के क्षेत्र में कार्यरत हैं वे भी आसानी से विदेशी निवेश हासिल कर सकते हैं. इससे पहले विदेशी निवेश के लिए मल्टी ब्रांड होना आवश्यक था. भारत के विभिन्न स्वदेशी सिंगल ब्रांड रिटेल अपने व्यापर में मुनाफा कमाने के लिए विदेशी निवेश हासिल कर सकते हैं.
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