केन्द्रीय शिपिंग मंत्रालय ने 05 जुलाई 2016 को जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति पर अमल हेतु दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी. इस नीति से संबंधित किसी भी तरह की शिकायत के निवारण हेतु शिपिंग मंत्रालय में एक संस्थागत व्यवस्था की गई है.
शिपिंग मंत्रालय की जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति के मुख्य तथ्य-
- जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति को केंद्रीय कैबिनेट ने गत वर्ष दिसम्बर माह में मंजूरी दी.
- इस नीति का उद्देश्य 1 अप्रैल 2016 से लेकर 31 मार्च 2026 तक हस्ताक्षरित होने वाले जहाज निर्माण अनुबंधों हेतु भारतीय शिपयार्डों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
- नीति के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता डिलीवरी के बाद भारत में किसी भी निर्मित जहाज के लिए अंतरराष्ट्रीय मूल्य निर्धारकों द्वारा निर्धारित अनुबंध मूल्य अथवा उचित मूल्य, इनमें से जो भी कम हो, का 20 फीसदी होगी.
- इस नीति के प्रत्येक तीन साल बाद वित्तीय सहायता राशि में 3 फीसदी की कमी कर दी जायेगी.<
- इस प्रयोजन हेतु यह नीति सरकार द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों में उल्लिखित तिथि से लेकर अगले दस वर्षों तक प्रभावी रहेगी.
- इस के तहत केवल वही जहाज वित्तीय सहायता हेतु योग्य माने जायेंगे, जिनका निर्माण एवं वितरण अनुबंध की तिथि से लेकर तीन वर्षों के भीतर पूर्ण कर दिया जायेगा.
- विशेष जहाजों के मामले में सक्षम प्राधिकारी इन तीन वर्षों के बाद भी तय की जाने वाली अवधि के भीतर इन जहाजों का निर्माण एवं डिलीवरी करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे सकता है.
- सैद्धांतिक मंजूरी की यह अवधि 6 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
- स्वीकृत दिशा-निर्देश शिपिंग मंत्रालय की वेबसाइट http://shipping.nic.in/showfile.php?lid=2307 के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं.
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