जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय और इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र खोलने हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किया

Oct 12, 2018, 12:26 IST

इस अंतिरक्ष केंद्र से जम्मू-कश्मीर के वे खास हित प्रभावित होंगे जो इसकी अर्थव्यवस्था और मानव जीवन को प्रभावित करते हैं. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रक्षेपण केंद्र है.

Central University of Jammu, ISRO sign MoU to set up Space Applications Center
Central University of Jammu, ISRO sign MoU to set up Space Applications Center

जम्मू में अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र खोलने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने 11 अक्टूबर 2018 को जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया.

इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने सीयूजे के कुलपति अशोक आइमा और केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन के अधिकारियों के साथ केंद्र स्थापित करने के लिए सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए.

अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र:

•   इस अंतिरक्ष केंद्र से जम्मू-कश्मीर के वे खास हित प्रभावित होंगे जो इसकी अर्थव्यवस्था और मानव जीवन को प्रभावित करते हैं.

•   इनके माध्यम से वनस्पति क्षेत्र, वन क्षेत्र, बर्फबारी, भूस्खलन, भूजल, बादल की निगरानी सुदूर संवेदी के माध्यम से अंतरिक्ष से की जा सकेगी.

•   केंद्र इस क्षेत्र के विकास के लिए उभरती भू-स्थानिक और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की आवश्यकताओं का ख्याल रखेगा. इसरो और सीयूजे के बीच समझौता जम्मू-कश्मीर के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है.

सतीश धवन अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र:

•   सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का प्रक्षेपण केंद्र है.

•   यह आंध्र प्रदेश के श्रीहरीकोटा में स्थित है, इसे 'श्रीहरीकोटा रेंज' या 'श्रीहरीकोटा लाँचिंग रेंज' के नाम से भी जाना जाता है. वर्ष 2002 में इसरो के पूर्व प्रबंधक और वैज्ञानिक सतीश धवन के मरणोपरांत उनके सम्मान में इसका नाम बदला गया.

•   सतीश धवन अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र नामक इस संस्थान का परिसर लगभग 1,150 वर्ग मीटर में फैला होगा.

•   मंत्रिमंडल ने 12 सितम्‍बर 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्‍द्र, श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण यान की असेम्‍बली के लिए दूसरे भवन के निर्माण की मंजूरी दी थी.

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)

•    वर्ष 1962 में जब भारत सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोंस्पार) का गठन हुआ तब भारत ने अंतरिक्ष में जाने का निर्णय लिया. 

•    वर्ष 1959 में इसरो की स्थापना की गई थी तथा प्रोफेसर विक्रम साराभाई को इसका चेयरमैन बनाया गया.

•    आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है. 

•    इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 

•    मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसरो ने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित की. 

•    वर्ष 2017 में इसरो ने एक साथ 104 उपग्रहों का सफल परीक्षण करके विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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