चीन के कृषि मंत्रालय ने 7 जनवरी 2015 को चावल, गेहूं और मक्का के बाद आलू को मुख्य आहार के रूप में शामिल करने की घोषणा की.
यह निर्णय,खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने,पर्यावरण पर दबाव को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है.
एक अन्य मुख्य भोजन के रूप में आलू को शामिल करना सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि को भागीदार बनाने की सरकार की नीति के अनुरूप है.
चीनी अधिकारियों ने दावा किया है कि 2020 तक आलू के वार्षिक उत्पादन का लगभग 50 फीसदी भाग खाद्य सुरक्षा में सुधार करने के लिए एक मुख्य भोजन के रूप में उपयोग में लाया जाएगा.
खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए चीन आलू के उपयोग को नूडल्स,उबली हुए रोटी और अन्य मुख्य खाद्य उत्पादों के रूप में प्रोत्साहित करेगा. इस प्रकार आलू एक स्वस्थ आहार के रूप में विनिर्मित खाद्य वस्तुओं की एक श्रृंखला के रूप में उपलब्ध हो सकेगा.
आलू बंजर भूमि में भी उत्पादित करने के लिए आसान है. यह भोजन की आपूर्ति की गारंटी प्रदान करेगा. आलू में चावल और गेहूं एवं आटे की तुलना में उच्च पोषण तत्व पाये जाते हैं. चावल और गेहूं एवं आटे में प्रसंस्करण के दौरान आलू की तुलना में अधिक मात्रा में पोषण तत्व नष्ट हो जाते हैं.
इस नीति के अंतर्गत बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आलू प्रसंस्करण की तकनीक में भी सुधार किया जाएगा. आलू की खपत को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान भी चलाया जायेगा.
इस नीति में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि आलू की खपत को लोकप्रिय बनाने के लिये गेहूं, चावल और मक्का की मौजूदा खेती की भूमि से समझौता नहीं होगा.
टिप्पणी
कई आलू के शौकीन लोगों ने इस नीति का समर्थन किया है जबकि कुछ लोगों ने सरकार के इस दावे पर कि यह नीति चीन में पारंपरिक मुख्य भोजन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण अपनायी गयी है शंका का इज़हार भी किया है.
चीन एक बहुत बड़ी आबादी वाला देश है किन्तु यहाँ खेतों का क्षेत्रफल सीमित हैं. आलू चीन के वर्तमान खाद्य व्यवस्था में आदर्श पूरक की भूमिका अदा कर सकता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation