ब्लैक होल के क्षेत्र में अमूल्य अनुसंधान करने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक सी.वी. विश्वेश्वरैया का 17 जनवरी 2017 को निधन हो गया. वे 77 वर्ष के थे.
वे गुरुत्वीय तरंगों पर अनुसंधान करने वाली अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की सामूहिक संस्था लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी (एलआईजीओ) साइंटिफिक कोलैबोरेशन से जुड़े हुए थे.
सी.वी.विश्वेश्वरैया के बारे में:
• वे भारत में 'ब्लैक होल मैन' के रूप में मशहूर थे.
• विश्वेश्वरैया ने मेरीलैंड विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र के तौर पर 60 के दशक के आखिर में तीन शोध-पत्र प्रकाशित करवाए थे, जिन्होंने ब्लैक होल को समझने का आधार तैयार किया.
• रोजर पेनरोज, स्टीफेन हॉकिंग जैसे वैज्ञानिक काफी बाद में ब्लैक होल से जुड़े अपने काम के साथ विश्व के सामने आए.
• विश्वेश्वरैया ने बहुत ही अहम गणना पद्धति तैयार की, जिसका उपयोग कर एलआईजीओ ने वर्ष 2015 में ब्लैक होल के संलयन से उठने वाली गुरुत्वीय तरंगों का पता लगाया था.
• विशू के नाम से पुकारे जाने वाले विश्वेश्वरैया का ब्लैक होल सिद्धांत में योगदान इतना पुराना है, जब वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल नाम भी ईजाद नहीं किया था.
ब्लैक होल के बारे में:
• ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता है.
• ब्लैक होल में हालांकि एक-तरफी सतह होती है जिसे घटना क्षितिज कहा जाता है, जिसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर कुछ भी नहीं आ सकता.
• इसे ब्लैक होल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है एवं कुछ भी प्रतिबिंबित नहीं करता.
• ब्लैक होल का क्वांटम विश्लेषण यह दर्शाता है कि उनमें तापमान एवं हॉकिंग विकिरण होता है.
• ब्लैक होल के चारों ओर एक प्रकार का गुरुत्वीय लैंस होता है जिस वजह से यदि कोई तारा मण्डल उसके पीछे से गुज़रता है तो उसकी छवि विकृत हो जाती है.
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