दूरसंचार विभाग ने 14 मई 2018 को टेलीनोर इंडिया व भारती एयरटेल के विलय को मंजूरी दे दी. यह भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री में एक बड़ा एवं अहम विलय है.
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह इस बारे में दूरसंचार विभाग की याचिका को खारिज करते हुए सौदे को मंजूरी देने का निर्देश दिया था. दूरसंचार विभाग चाहता था कि ये कंपनियां जमानत राशि के रूप में लगभग 1700 करोड़ रुपये जमा करवाएं.
इस विलय से सात सर्किलों में एयरटेल का स्पेक्ट्रम बढ़ेगा. टेलीनोर सात सर्किलों में परिचालन करती है जिनमें आंध्र प्रदेश , बिहार , महाराष्ट्र , गुजरात, उत्तर प्रदेश (पूर्व व पश्चिम) तथा असम है.
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समझौते का प्रभाव
• इस सौदे से उभरते वोडाफोन इंडिया-आइडिया सेलुलर गठबंधन के साथ राजस्व और ग्राहक बाजार हिस्सेदारी के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी, जो अपने विलय के बाद देश की सबसे बड़ी फोन कंपनी बन जाएगी.
• इस समझौते को मंजूरी मिलने के बाद एयरटेल, टेलीनोर को नो-कैश डील में खरीद लेगी तथा इसके आउटस्टैंडिंग स्पेक्ट्रम पेमेंट का अधिग्रहण कर लेगी जिसकी कीमत लगभग 1650 करोड़ रुपये है.
• भारत का प्रतिस्पर्धा आयोग, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने पहले ही अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है.
• एयरटेल देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है. उसके करीब 29 करोड़ ग्राहक हैं और दूरसंचार क्षेत्र के 33 प्रतिशत बाजार पर उसके पास बड़ा क्षेत्र मौजूद है. अधिग्रहण के बाद वह टेलीनोर इंडिया के स्पेक्ट्रम, लाइसेंस, संचालन और कर्मचारियों के साथ ही 4.40 करोड़ ग्राहक भी उसके साथ जुड़ जायेंगे.
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