हर साल मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए 17 जून को मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस मनाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, पृथ्वी की बर्फ-मुक्त भूमि के लगभग तीन-चौथाई हिस्से को मानव जाति द्वारा भोजन, बुनियादी ढांचे, कच्चे माल एवं अन्य पदार्थों की लगातार बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए नुकसान पहुंचाया गया है.
पूरी दुनिया के 100 से अधिक देश अगले दशक में लगभग 01 बिलियन हेक्टेयर भूमि की बहाली के लिए प्रतिबद्ध हैं. भारत का लक्ष्य वर्ष, 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करना है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह कहा है कि, "भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित भूमि क्षरण तटस्थता के लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है."
मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस 2021: लक्ष्य
• वर्ष, 2021 में मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस का उद्देश्य खराब भूमि को उपजाऊ भूमि में बदलने पर ध्यान केंद्रित करना है और इस प्रकार आर्थिक लचीलापन, रोजगार, आय और खाद्य सुरक्षा बढ़ाना और सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों (SGDs) को हासिल करने की दिशा में प्रगति करना है. यह दिन जैव विविधता को पुनः प्राप्त करने और पृथ्वी का तापमान बढ़ने की गति को धीमा करने पर जोर देता है.
• मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस, 2021 मनाने के लिए, आयोजित किया गया मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD) कोस्टा रिका के पर्यावरण मंत्रालय (MINAE) के साथ सहयोग करेगा ताकि COVID-19 से उबरने के दौरान मरुस्थलीकरण को उलटने की दिशा में और अधिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा सके.
मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस 2021: थीम
• इस मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस 2021 का विषय है - बहाली, भूमि, पुनर्प्राप्ति. हम उपजाऊ भूमि के साथ बेहतर निर्माण कर सकते हैं.
• मरुस्थलीकरण का तात्पर्य शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों, शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भूमि के क्षरण से है. जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां जैसेकि, विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों और भूमि का अत्यधिक दोहन मरुस्थलीकरण के दो प्राथमिक कारण हैं.
• इस वर्ष, यह दिवस सामुदायिक भागीदारी और समस्या-समाधान के माध्यम से भूमि क्षरण तटस्थता प्राप्त करने पर ध्यान आकर्षित कर रहा है.
मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस: इतिहास
• संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 जून को अपने संकल्प A/RES/49/115 के माध्यम से मरुस्थलीकरण और सूखे का मुकाबला करने के लिए विश्व दिवस के तौर पर घोषित किया है, जिसे दिसंबर, 1994 में अपनाया गया था.
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