रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 11 सितंबर 2019 को आंध्र प्रदेश के कुरनूल से मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) का सफल परीक्षण किया. इसे सैन्यबलों द्वारा बिना किसी वाहन या बड़े मिसाइल लॉन्चर से ऑपरेट किया जा सकता है. इससे पहले इस मिसाइल के तीन परीक्षण किये जा चुके हैं.
भारतीय सेना के लिए थर्ड जेनरेशन की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल की जरुरत को देखते हुए इसे तैयार किया गया है. डीआरडीओ द्वारा जारी जानकारी के अनुसार परीक्षण के दौरान मिसाइल को एक ट्रायपॉड से फायर किया गया और इसके निशाने पर एक टैंक था. मिसाइल ने टॉप अटैक मोड में लक्ष्य को निशाना बनाया और पूरी तरह से नष्ट कर दिया.
MPATGM की विशेषताएं
• यह मिसाइल अचूक निशाना साधती है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे तबाह कर देती है. यह मिसाइल वजन में इतनी हल्की है कि इसे सैन्यबलों द्वारा आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है.
• यह मिसाइल किसी भी ऊंची पहाड़ी पर या दुर्गम स्थल पर आसानी से लाई जा सकती है. इसकी एक विशेषता है कि इसे दिन और रात दोनों समय उपयोग में लाया जा सकता है.
• आमतौर पर यह माना जाता है कि आमने-सामने की लड़ाई में यह मिसाइल बेहद कारगर सिद्ध होती है. सेना के लिए 2021 तक इस मिसाइल का बड़े पैमाने पर निर्माण किया जायेगा.
• भारतीय सेना द्वारा वर्ष 2005 में सबसे पहले इस मिसाइल को सेना में शामिल करने के लिए योजना बनाई गई थी.
• इसे डीआरडीओ तथा भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.
• इसका वजन लगभग 14.5 किलोग्राम है तथा लॉन्चर के साथ यह लगभग 14.25 किलोग्राम की होती है.
• डीआरडीओ द्वारा सबसे पहले 13 मार्च 2019 को इसका परीक्षण किया था इसके बाद अगले ही दिन 14 मार्च को इसका दूसरा परीक्षण किया गया.
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