उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों, दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में 6 फरवरी 2017 को रात 10.35 बजे भूकंप के झटके महसूस किये गये. भूकंप का केंद्र उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग क्षेत्र था. रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.8 मापी गयी.
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में यह झटके लगभग 15 सेकेंड तक रहे. चंडीगढ़, हरियाणा तथा पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी भूकंप महसूस किया गया. इसके बाद 1 बजकर 52 मिनट पर एक बार फिर इन्हीं क्षेत्रों में भूकंप के झटके आये.
भूकंप की गहराई जमीन से 33 किलोमीटर नीचे थी. हिमालय क्षेत्र में आने वाला उत्तराखंड अधिक संवेदनशील भूकंपीय गतिविधियों के लिए जाना जाता है.
क्यों आता है भूकंप
• पृथ्वी चार परतों से बनी है - इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट.
• क्रस्ट तथा सबसे ऊपरी परत को लिथोस्फेयर कहते हैं.
• यह 50 किलोमीटर की मोटी परत है जो विभिन्न वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है.
• यह टैकटोनिक प्लेट्स एक स्थान से दूसरे स्थान पर खिसकती रहती हैं, जो एक प्रकार से लावा के ऊपर तैरती मानी जा सकती हैं.
• यह प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर किसी भी दिशा में मुड़ सकने में सक्षम होती है. जगह तलाशते समय एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है लेकिन यदि वे एक-दूसरे से टकरा जाएं तो कम्पन पैदा होते है. कम्पन के सामान्य से अधिक बढ़ने पर भूकंप महसूस किया जाता है.
भारत में भूकंप का खतरा कहां
• भारत को भूकंप के खतरों के हिसाब से चार भागों में बांटा गया है. इसमें जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 शामिल हैं.
• ज़ोन-2 सबसे कम खतरे वाला क्षेत्र तथा ज़ोन-5 सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र माना गया है.
• उत्तर-पूर्व के सभी राज्य – असम, नागालैण्ड , मणिपुर,सिकिक्मम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा तथा जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में रखे गये हैं.
• ज़ोन-4 में हिमाचल प्रदेश के कुछ भाग, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली गिने जाते हैं.
• मध्य भारत के अधिकतर भाग ज़ोन-3 में आते हैं जबकि लगभग पूरा दक्षिण भारत ज़ोन-2 में गिना जाता है.
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