निर्वाचन आयोग ने 11 जनवरी 2018 को इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के विस्तार के मद्दनेजर जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-126 में बदलाव पर सुझाव देने के लिए 14 सदस्यों की समिति गठित की है. इस धारा के अंतर्गत मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लगाने का प्रावधान है. ऐसा सूचना प्रौद्योगिकी के साथ चुनाव कानून में तालमेल बनाए रखने में नाकाम रहने की शिकायत के बाद किया गया है.
इस पैनल की अध्यक्षता वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा करेंगे. यह समिति मतदान से 48 घंटे पहले मीडिया प्लेटफार्मों के रेग्यूलेट करने में आ रही कठिनाईयों का अध्ययन करेगी औऱ इस दिशा में जरूरी सुझाव देगी. सूचना और प्रसारण, कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के नामित सदस्यों के अलावा इस समिति में नेशनल ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन और प्रेस काउंसिल के लोगों को भी रखा गया है. यह समिति अपनी रिपोर्ट तीन महीने में सौंपेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिक्की बैठक, राहुल गांधी के टीवी साक्षात्कारों और भाजपा के चुनावी घोषणापत्र जारी करने (सभी गुजरात विधानसभा का चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद हुए) को लेकर विवादों की पृष्ठभूमि में कमेटी गठित करने का कदम सामने आया है.
पृष्ठभूमि:
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 के तहत विधानसभा क्षेत्र में मतदान समाप्त होने के 48 घंटें पहले की अवधि के दौरान अन्य माध्यमों के साथ-साथ टेलीविजन या इसके जैसे अन्य संचार माध्यमों द्वारा किसी भी प्रकार की चुनाव सामग्री का प्रदर्शन प्रतिबंधित है.
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