सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) ने हाल ही में एमएसएमई विकास के लिए एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य से एक निर्यात संवर्धन सेल की स्थापना की है.
एमएसएमई क्षेत्र से निर्यात की वर्तमान स्थिति, एमएसएमई संबंधित उत्पादों का मूल्य 147,390.08 मिलियन डॉलर है और 2017-18 के दौरान देश के निर्यात में एमएसएमई से संबंधित उत्पादों की हिस्सेदारी 48.56% थी.
परिषद की रूपरेखा
सभी एमएसएमई निर्यात संबंधित हस्तक्षेपों की कुशल और प्रभावी डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने एक गवर्निंग काउंसिल बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसकी अध्यक्षता सचिव, एम/ओ एमएसएमई और सह-अध्यक्षता विकास आयुक्त, एम/ओ एमएसएमई द्वारा की जाएगी.
इस परिषद में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और वाणिज्य मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम निर्यात संवर्धन परिषद, निर्यात विकास प्राधिकरण, कमोडिटी बोर्ड और अन्य निकायों के वरिष्ठ अधिकारी और सदस्य शामिल होंगे. वर्ष 2020 तक 100 बिलियन डॉलर निर्यात का लक्ष्य पूरा करने हेतु एक कार्य योजना भी प्रस्तावित की जानी है.
निर्यात संवर्धन परिषद से एमएसएमई को होने वाले लाभ की संभावना
• अपने उत्पादों और सेवाओं को निर्यात करने के लिए एमएसएमई की तत्परता का मूल्यांकन करना.
• ऐसे क्षेत्रों को पहचानना जहां प्रभावी ढंग से और कुशलता से निर्यात किया जा सके.
• वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एकीकरण करने में सक्षम होने के लिए सुधार करना.
एमएसएमई (MSME) क्या है?
भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा एमएसएमई उद्योगों के लिए कुछ नियम बनाये गए है. देश में मौजूद जो भी सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योगों से सम्बंधित नियम, विनियम और कानून है तथा आवश्यकता होने पर नए कानूनों के निर्माण के लिए यह मंत्रालय सर्वोच्च निकाय या संस्था है. भारत सरकार एमएसएमईडी अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत कंपनियों या व्यापार के माध्यम से विभिन्न योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देती है.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) मौजूदा उद्यमों को सहायता प्रदान करने और नए उद्यमों को प्रोत्साहित करके संबंधित मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के सहयोग से, खादी, ग्रामोद्योग और कयर उद्योग सहित एमएसएमई क्षेत्र की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देकर एक जीवंत एमएसएमई क्षेत्र की कल्पना करता है.
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