भारत की संसद में फैक्टरिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट बिल 2021 हुआ पास, यहां पढ़ें मुख्य विवरण

Jul 30, 2021, 12:46 IST

इस फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 का उद्देश्य, फैक्टरिंग व्यवसाय में संलग्न होने वाली संस्थाओं के दायरे को बढ़ाकर, इस फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 को उदार बनाना है.

Factoring Regulation Amendment Bill 2021 passed in Lok Sabha amid protests
Factoring Regulation Amendment Bill 2021 passed in Lok Sabha amid protests

संसद में फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 पारित हो  गया है. राज्यसभा ने इस बिल को 29 जुलाई, 2021 को पारित कर दिया. लोकसभा ने विपक्ष के विरोध के बीच, बिना चर्चा के 26 जुलाई, 2021 को इस बिल को पहले ही पारित कर दिया था.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कहा कि, इस बिल के प्रावधानों से देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि MSME को प्राप्य में देरी के कारण कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और यह बिल देश में स्वस्थ नकदी प्रवाह और सुचारू कार्यशील पूंजी चक्र सुनिश्चित करेगा.

इस फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 के माध्यम से, फैक्टरिंग व्यवसाय में संलग्न होने वाली संस्थाओं के दायरे को बढ़ाकर, वर्तमान फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 को उदार बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021: मुख्य विशेषताएं

• यह फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल पहली बार 14 सितंबर, 2020 को लोकसभा में पेश किया गया था. जिसके बाद इस बिल को 25 सितंबर को वित्त संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था. इस समिति की रिपोर्ट 03 फरवरी, 2021 को लोकसभा में पेश की गई थी.
• वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह कहा कि, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों सहित सभी उद्यमों द्वारा भुगतान और तरलता/ नकदी में देरी से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए मूल फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 लागू किया गया था लेकिन, ये समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं.
• वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि, सरकार ने स्थायी समिति की कुछ सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.
• विपक्ष के विरोध के बीच, निचले सदन में हंगामे के कारण, इस विधेयक को निचले सदन में बिना उचित चर्चा के पारित कर दिया गया.

फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 के कुछ प्रमुख प्रस्ताव

(i) फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) बिल, 2021 में "प्राप्य", "असाइनमेंट" और "फैक्टरिंग बिजनेस" की परिभाषाओं में संशोधन करने का प्रयास किया गया है ताकि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय परिभाषाओं के बराबर लाया जा सके.

(ii) यह "व्यापार प्राप्य छूट प्रणाली" को भी खंड 2 में सम्मिलित करने का प्रयास करता है.

(iii) यह बिल/ विधेयक अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को भी फैक्टरिंग व्यवसाय करने की अनुमति देकर फैक्टरिंग व्यवसाय में संलग्न होने वाली संस्थाओं के दायरे को विस्तृत करने के लिए वर्तमान अधिनियम की धारा 3 में संशोधन करने का प्रयास करता है.

(iv) यह बिल दोहरे वित्तपोषण से बचने के लिए, चालान के पंजीकरण समय को कम करने और उस पर लगने वाले शुल्क को कम करने के लिए भी मौजूदा अधिनियम की धारा 19 की उप-धारा (1) में संशोधन करना चाहता है.

(v) इस संशोधन विधेयक में धारा 19 में एक नई उप-धारा (1ए) सम्मिलित करने का भी प्रयास किया गया है ताकि संबंधित व्यापार प्राप्य छूट प्रणाली को केंद्रीय रजिस्ट्री के साथ ही, इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाली संस्थाओं की ओर से शुल्क दर्ज करने की अनुमति मिल सके.

(vi) यह विधेयक भारतीय रिजर्व बैंक को फैक्टरिंग व्यवसाय से संबंधित नियम बनाने के लिए सशक्त बनाने के लिए एक नई धारा 31A सम्मिलित करने का भी प्रयास करता है.

फैक्टरिंग व्यवसाय क्या है?

यह फैक्टरिंग व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय है जहां इकाई/ कारक किसी अन्य इकाई की प्राप्तियां हासिल करता है जिसे एक निर्धारित राशि के लिए असाइनर के तौर पर जाना जाता है.

प्राप्य क्या है?

यह प्राप्य राशि एक ऐसी राशि होती है जो ग्राहकों, जिन्हें देनदार के तौर पर भी जाना जाता है, द्वारा किसी भी सुविधा, सामान या सेवाओं के उपयोग के लिए अपने असाइनरों को देय होती है.

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