प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिसंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 9,802 करोड़ रुपये की लागत की सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन करेंगे.
सरयू नहर परियोजना के बारे में प्रमुख पॉइंट्स
- सरयू नहर परियोजना उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी परियोजना है.
- इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ जिलों बहराइच, गोंडा, बस्ती, श्रावस्ती, बलरामपुर, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर और महराजगंज के लगभग 25-30 लाख किसानों को लाभ होगा.
- यह नहर 14.04 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी और इसके साथ ही क्षेत्र के कई बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बाढ़ के जोखिम को कम करेगी.
- इस परियोजना के तहत सिंचित क्षेत्र 4.04 लाख हेक्टेयर होगा.
सरयू नहर परियोजना के तहत जुड़ी नदियां
इस परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, राप्ती, बाणगंगा, सरयू और रोहिणी को जोड़ा गया है.
सरयू नहर परियोजना की नहरों की लंबाई
उक्त परियोजना में शामिल नहरों की कुल लंबाई 6,600 किलोमीटर है और इन्हें 318 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर से जोड़ा गया है.
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सरयू नहर परियोजना का इतिहास
- वर्ष, 1978 में लगभग 78.68 करोड़ रुपये की लागत से दो जिलों में सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए यह परियोजना छोटे पैमाने पर शुरू की गई थी.
- वर्ष, 1982 में इसका विस्तार नौ जिलों में किया गया और इसका नाम बदलकर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना कर दिया गया.
- वर्ष, 2021 तक इस परियोजना की लागत बढ़कर 9,802 करोड़ रुपये हो गई है.
सरयू नदी
सरयू नदी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में नंदा कोट पर्वत के दक्षिण में एक रिज से निकलती है. यह कपकोट, सेराघंट और बागेश्वर सहित विभिन्न कस्बों से होकर बहती है और अंत में पंचेश्वर में शारदा नदी में गिरती है, जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है. इसके बाद यह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में घाघरा नदी में मिल जाती है. निचले घाघरा को सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है, खासकर जब यह अयोध्या शहर से होकर बहती है. भारत के रामायण नामक प्राचीन भारतीय महाकाव्य में इस नदी का कई बार उल्लेख किया गया है.
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