परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए 21 सितंबर 2017 को पचास से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किये. यह संधि प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र द्वारा रखा गया था जिस पर परमाणु शक्ति संपन्न कुछ बड़े देशों ने आपत्ति भी जताई.
परमाणु शक्ति संपन्न देशों ने इसे ख़ारिज करते हुए इसपर हस्ताक्षर नहीं किये जबकि इसके समर्थकों ने इसे ऐतिहासिक समझौता बताया. परमाणु हथियारों को नष्ट करने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय अभियान के कार्यकारी निदेशक बेट्राइस फिन ने कहा, ‘‘आप वे राष्ट्र हैं जो
दुनिया को नैतिक नेतृत्व का रास्ता दिखा रहे हैं.’’ इंडोनेशिया और आयरलैंड सहित 50 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
मुख्य बिंदु
• गुयाना, थाईलैंड और वेटिकन ने पहले ही इस संधि को औपचारिक मंजूरी प्रदान की.
• इस संधि के लागू होने पर इन देशों में ‘‘किसी भी परिस्थिति में’’ परमाणु हथियारों को विकसित करने, परीक्षण करने, निर्माण करने, उन्हें हासिल करने, अपने पास रखने या संचय करने पर रोक रहेगी.
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• ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर ने संयुक्त राष्ट्र महसभा की बैठक में सबसे पहले इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
• संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इसे ऐतिहासिक बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण संधि बताया.
• नाटो ने इस संधि की निंदा करते हुए कहा कि विश्व के लिए इसके विपरीत परिणाम हो सकते हैं.
पृष्ठभूमि
परमाणु हथियारों पर रोक लगाने वाली इस संधि से जुड़े प्रस्ताव को जुलाई 2017 में 122 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में पारित किया था. ऑस्ट्रिया, ब्राज़ील, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड की अगुवाई में इस प्रस्ताव को लेकर बातचीत की गई थी. परमाणु हथियार रखने वाले नौ देशों अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल में से कोई भी इस बातचीत में शामिल नहीं हुआ.
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