अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो (NATO) गठबंधन की सदस्यता के लिए स्वीडन एवं फिनलैंड ने तैयारी पूरी कर ली है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों ने मई के मध्य तक आवेदन जमा करने पर सहमति जता दी है. यदि आवेदन को स्वीकृति मिल जाती है तो ये दो देश जल्द ही इसके सदस्य बन जाएंगे.
आपको बता दें कि ये दो देश भी यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine crisis) के दौरान रूस की तानाशाही का विरोध करते आए हैं. यदि इन दोनों देशों को नाटो की सदस्यता मिलती है तो ये रूस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं. हालांकि रूस (Russia) ने भी इन दो देशों को नाटो से नहीं जुड़ने की चेतावनी दे दी है.
रूस ने चेतावनी दी
बता दें कि रूस द्विपक्षीय राजनयिक माध्यमों से कई बार स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल होने के नतीजों के बारे में चेतावनी दे चुका है. गौरतलब है कि रूस ने इन दोनों देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि फिनलैंड या स्वीडन नाटो में शामिल होने का फैसला करते हैं तो रूस बाल्टिक देशों एवं स्कैंडिनेविया के नजदीक परमाणु हथियार तैनात करेगा.
फिनलैंड की सीमा
फिनलैंड और स्वीडन रूस से बहुत ही नजदीक हैं. रूस के साथ फिनलैंड 1300 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. फिनलैंड की प्रधानमंत्री (Prime Minister of Finland) सना मारिन ने भी रूस की चुनौती स्वीकार करते हुए कहा था कि उनका देश नाटो में शामिल होने को लेकर अगले कुछ हफ्तों में फैसला करेगा.
जानें क्या है नाटो?
रूस और यूक्रेन विवाद (Russia and Ukraine dispute) में जिस संगठन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है उस संगठन का नाम नाटो (NATO) है. नाटो का निर्माण साल 1949 में हुआ था. कुल 30 देशों ने इसकी सदस्यता ले रखी है. यदि फिनलैंड एवं स्वीडन को भी सदस्यता मिलती है तो कुल सदस्य देश 32 हो जाएंगे. इस संगठन के लिए अमेरिका सबसे अधिक फंडिंग करता है. नाटो का मतलब उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization) है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation