हिरोशिमा घोषणा को अपनाने के संकल्प के साथ G7 के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन संपन्न

Apr 13, 2016, 13:40 IST

इस सम्मलेन में अपनाए गए चार संकल्पों में आतंकवाद, दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा, उत्तर कोरिया की बढ़ती उत्तेजना संबंधी वैश्विक चिंता एवं G-7 सदस्य देशों की ऐसे विश्व के प्रति प्रतिबद्धता जहां परमाणु हथियार न हो, प्रतिबिंबित होती है.

10 अप्रैल से 11 अप्रैल 2016 तक आयोजित G7 देशों के विदेश मंत्रियों का दो दिवसीय सम्मेलन हिरोशिमा में समाप्त हो गया. वैश्विक सुरक्षा, शरणार्थियों का संकट और राजनीतिक अस्थिरता इस सम्मेलन के मुख्य बिन्दु थे.

यह सम्मेलन हिरोशिमा घोषणा के साथ गैर–प्रसार एवं समुद्री सुरक्षा पर दो अन्य वादे के साथ संपन्न हो गया.

अपनाए गए चार संकल्पों में आतंकवाद, दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा, उत्तर कोरिया की बढ़ती उत्तेजना संबंधी वैश्विक चिंता एवं G-7 सदस्य देशों की ऐसे विश्व के प्रति प्रतिबद्धता जहां परमाणु हथियार न हो, प्रतिबिंबित होती है.

हिरोशिमा घोषणा

•    हिरोशिमा घोषणा में जापान के विदेश मंत्री फूमियो किशिदा के कथित पांच सिद्धांतों या पांच स्तंभों की छवि देखने को मिलती है जिसे उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अप्रैल 2015 में एनपीटी रिव्यू कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था. अन्य के साथ इन पांच स्तंभों में शामिल हैं–

i. परमाणु शक्ति की पारदर्शिता
ii. सभी प्रकार के परमाणु हथियारों को बहुत कम करना
iii. परमाणु हथियारों के मानवीय नतीजों को आम मान्यता देना
iv. राजनेताओं और युवाओं का हिरोशिमा एवं नागासाकी का दौरा करना

• यह घोषणा एनपीटी के महत्व पर जोर डालती है, परमाणु परीक्षण विस्फोट पर प्रतिबंध लागने की मांग करती है और व्यापक परमाणु– परीक्षण प्रतिबंध संधि पर बिना किसी देरी एवं शर्त के सभी देशों द्वारा हस्ताक्षर करने एवं उसकी पुष्टि करने की मांग करती है.

• यह घोषणा अपने सभी तीन "स्तंभों" (गैर– प्रसार, निरस्त्रीकरण और परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग) पर एनपीटी के प्रावधानों के पूर्ण कार्यान्वयन का जोरदार समर्थन करती है. इसने आईएईए और उसकी सुरक्षा प्रणाली की केंद्रीय भूमिका की भी पुष्टि की.

संयुक्त विज्ञप्ति

• यह सीरिया और यूक्रेन एवं खास कर उत्तर कोरिया द्वारा किए गए बार– बार उकसाने की क्रिया का कई इलाकों में सुरक्षा के माहौल के बिगड़ने पर प्रकाश डालता है.

• इसमें  उत्तर कोरिया द्वारा 6 जनवरी 2016 को किए गए चौथे परमाणु परीक्षण, जिसके बाद उत्तर कोरिया ने लंबी– दूरी के उपग्रह का प्रक्षेपण भी किया जिसके लंबी दूरी के होने वाले मिसाइल का दावा किया जा रहा है, की "कड़े शब्दों में" निंदा की गयी है.

 

• इसमें तुर्की, बेल्जियम और अन्य इलाकों में हाल में हुए आतंकवादी हमलों की भी निंदा की गयी है और कहा गया है कि मई 2016 में होने वाले G7 आईसे– शीमा समिट में आतंकवाद का मुकाबला करने पर ठोस G7 कार्य योजना को अपनाया जा सकता है.

समुद्री सुरक्षा पर वक्तव्य

• समुद्री सुरक्षा पर कथन में विश्वास एवं नागरिक मध्यस्थता के साथ अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन में "शांतिपूर्ण प्रबंधन और समुद्री विवादों के निपटारे" की बात कही गई.

• इस वक्तव्य में भूमि सुधार के प्रयासों का हवाला देते हुए "किसी को भी डराकर, बलपूर्वक या उत्तेजित कर एकतरफा कार्रवाई करने जो किसी की स्थिति को बदल दे या तनाव बढ़ा दे", के खिलाफ  कड़े शब्दों में विरोध जताया गया.

इससे पहले विदेशी प्रतिनिधियों ने हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क और एटॉमिक बॉम्ब डोम का दौरा किया. यह पार्क अमेरिका द्वारा 1945 में किए गए परमाणु हमलों का स्मारक है.

अमेरिका के विदेश मंत्री डॉन केरी बीते 70 वर्षों में हिरोशिमा का दौरा करने वाले सर्वोच्च अमेरिकी अधिकारी बने, इस लिहाज से भी G-7 देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रहा. इस शहर पर 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के समय अमेरिका ने परमाणु बम से हमला किया था.

G-7 देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन

G-7 देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन G-7 शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित होने वाला संबंधित मंत्रिस्तरीय बैठकों में से एक है. यह तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय मामलों पर विदेश मंत्रियों द्वारा चर्चा करने के लिए महत्वपूर्ण बैठक है. यहां की चर्चा ही बाद में G-7 शिखर सम्मेलन के चर्चा का आधार बनती है.

2016 का G-7 देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन 10 से 11 अप्रैल 2016 को हिरोशिमा में आयोजित किया गया. यह G-7 शिखर सम्मेलन से पहले आयोजित की जाने वाली दस मंत्रिस्तरीय बैठकों में से पहला था. G-7 शिखर सम्मेलन 26 और 27 मई को मीए प्रांत के आईसे– शिमा क्षेत्र में आयोजित किया जाना है.

G-7 समूह के सदस्य देश हैं–जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंग्डम, फ्रांस, जर्मनी, इटली और कनाडा. इसके साथ यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष भी इसमें शामिल होते हैं.

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