अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) का उत्सर्जन 32.5 गीगाटन की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया. यह ऊर्जा की ऊंची मांग और ऊर्जा दक्षता में सुधार की धीमी गति के कारण था.
प्रमुख तथ्य
• आईईए के प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक वैश्विक ऊर्जा की मांग 2017 में 2.1 प्रतिशत बढ़कर 14,050 मिलियन टन तेल के बराबर हुई है जो पिछले साल की तुलना में दो गुना अधिक है.
• आईईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक ऊर्जा मांग के 70 प्रतिशत से अधिक विकास गैर-नवीकरणीय स्रोतों जैसे तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला द्वारा मिले थे, जबकि लगभग सभी बाकी हिस्सों के लिए अक्षय ऊर्जा का हिस्सा था.
• वैश्विक ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2017 में 1.4 प्रतिशत बढ़कर 32.5 गीगाटन तक पहुंच गया, जो कि सर्वोच्च रिकॉर्ड है.
• वर्ष 2017 में वैश्विक ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में उल्लेखनीय वृद्धि से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए मौजूदा प्रयास पर्याप्त नहीं हैं.
एशिया में कार्बन उत्सर्जन
आईईए रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक उत्सर्जन में वृद्धि के मामलों में दो-तिहाई एशियाई देशों का योगदान है. अकेले चीन का उत्सर्जन 1.7 प्रतिशत बढ़कर 9.1 गिगाटन तक पहुंच गया है. नवीकरणीय उर्जा स्रोतों के अधिक उपयोग के चलते यह वृद्धि दर्ज की गई है. उर्जा उत्पादन के अन्य स्रोतों का चीन द्वारा अधिक उपयोग किये जाने से कार्बन उत्सर्जन बढ़ा है जिसके चलते कुल कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हुई है.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए)
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की स्थापना वर्ष 1974 में की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य तेल की आपूर्ति में प्रमुख बाधाओं के सामूहिक प्रतिक्रिया का समन्वय कर मुख्य रूप से अपने 29 सदस्य देशों को विश्वसनीय, न्यायोचित और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करना है. आईईए के चार प्रमुख क्षेत्र ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरणीय जागरुकता और विश्व में ऊर्जा के प्रति वचनबद्धता हैं.
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