ग्लोबल वार्मिंग से बदल रहा है समुद्रों का रंग: WEF रिपोर्ट

Feb 12, 2019, 10:59 IST

ग्लोबल वार्मिंग के कारण 21वीं सदी के अंत तक दुनिया के 50 फीसदी से अधिक समुद्रों का रंग बदल जाएगा. शोध के अनुसार पानी का रंग हरा होना उसकी सतह पर उगे फायटोप्लैंक्टन होते हैं.

Global warming is changing the colour of the oceans
Global warming is changing the colour of the oceans

अमेरिका की मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) द्वारा किये गये अध्ययन तथा विश्व आर्थिक फोरम (WEF) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण विश्व भर में समुद्रों का रंग बदल रहा है. इस अध्ययन के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण 21वीं सदी के अंत तक दुनिया के 50 प्रतिशत से अधिक समुद्रों का रंग बदल जाएगा.

एमआईटी के प्रोफेसर स्टेफनी के मुताबिक, उपोष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिक्स) जैसे इलाकों में पड़ने वाले समुद्रों का रंग 'गहरा नीला' और ध्रुवीय समुद्रों का रंग 'गहरा हरा' हो जाएगा. हालांकि, इन बदलावों को नग्न आंखों से देखना बहुत मुश्किल होगा. हाल ही में यह रिपोर्ट ‘नेचर’ पत्रिका में भी प्रकाशित हुई है.

रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य

•    एमआईटी द्वारा किये गये शोध के अनुसार पानी का रंग हरा होना उसकी सतह पर उगे फायटोप्लैंक्टन होते हैं.

•    ध्रवीय समुद्र का तापमान बढ़ने से इनकी मात्रा गहराई तक बढ़ सकती है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा वैसे इनकी तादाद में बढ़ोतरी होगी.

•    इसी प्रकार समुद्र का पानी नीला होने का मतलब है फायटोप्लैंक्टन की संख्या में कमी.

•    फायटोप्लैंक्टन सूक्ष्म जीव होते हैं जो समुद्री जीवों के भोजन का काम करते हैं. इनकी संख्या कार्बन डाई ऑक्साइड, सूरज की रोशनी और पानी में मौजूद पोषक तत्वों के आधार पर बढ़ती है, जिसमें भारी कमी देखी गई है.

•    वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की अम्लता का सीधा असर फायटोप्लैंक्टन पर पड़ेगा. इनकी ग्रोथ में कमी होने पर समुद्री जीवों के लिए भोजन का संकट पैदा होगा.

•    प्रोफेसर स्टेफनी द्वारा जारी जानकारी के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में मौजूद छोटी शैवालों को कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करना मुश्किल हो रहा है.

•    यदि यही स्थिति बनी रही तो समुद्र में जीवन की कल्पना करना मुश्किल हो जाएगा. इनके न रहने पर कार्बन वापस समुद्र से वातावरण में चला जाएगा और कई तरह की समस्याएं पैदा करेगा.

•    साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि समुद्री पानी के तापमान में बढ़ोतरी होने पर शार्क अपना रास्ता भटक रही हैं. इससे उन्हें तैरने की दिशा भटकने पर असर पड़ रहा है.

 


अध्ययन का आधार

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एक ऐसा वैश्विक मॉडल तैयार किया जो सूक्ष्म पादपों या शैवाल की प्रजातियों की वृद्धि और उनके अंतर्संवाद की बारीकियों का पता लगाता है. यह मॉडल यह बताता है कि कैसे विभिन्न स्थानों पर प्रजातियों का सम्मिश्रण दुनियाभर में तापमान बढ़ने पर बदलेगा. इस मॉडल से वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि कैसे यह सूक्ष्म पादप प्रकाश का अवशोषण और परावर्तन करते हैं तथा ग्लोबल वार्मिंग से पादप समुदाय की संरचना पर असर पड़ने से महासागर का रंग बदलता है.


यह भी पढ़ें: 55 किमी हर साल खिसक रहा है चुंबकीय उत्तरी ध्रुव: वैज्ञानिक शोध

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
... Read More

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News