केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने 29 मार्च 2016 बी2बी ई-कॉमर्स में स्वतत: माध्यईम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के सन्दर्भ में दिशानिर्देश अधिसूचित किए.
इसका उद्देश्य ई-कारोबार क्षेत्र में विदेशी निवेश के संदर्भ में अधिक स्पष्टता लाना और अतिरिक्त विदेशी निवेश को आकृष्टर करना है.
यह दिशानिर्देश समेकित एफडीआई नीति परिपत्र 2015 के अंतर्गत अधिसूचित किया गया.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• किसी भी वस्तु एवं सेवाओ की डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से ख़रीदे या बेचे जाने की प्रक्रिया को ई-कारोबार या ई-कॉमर्स कहते है.
• ई-करोबार खुदरा व्याोपार के बाजार मॉडल में स्वेत: माध्यहम से 100% प्रत्यनक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी गयी है.
• भंडारण (inventory) पर आधारित ई-कारोबार के मॉडल में प्रत्य क्ष विदेशी निवेश को मंजूरी नहीं दी गई है.
• इस फैसले से अमेजन और ईबे जैसी विदेशी कंपनियों के अलावा फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी घरेलू कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा.
• ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस विक्रेता को भंडारगृह, लॉजिस्टिक्स, ऑर्डर को पूरा करने, कॉल सेंटर, भुगतान लेने और अन्य सेवाओं के रूप में सपोर्ट सेवाएं उपलब्ध करा सकते हैं हालांकि, इस तरह की इकाइयों का इन्वेंटरी पर स्वामित्व का अधिकार नहीं होगा.
• ई-कॉमर्स कंपनी को अपने मार्केट प्लेस पर किसी एक वेंडर या अपने समूह की कंपनी को कुल बिक्री का 25 प्रतिशत से अधिक करने की अनुमति नहीं होगी.
टिप्पणी
इससे भारतीय बाजार में ई-कॉमर्स मार्केटप्लेट की बदलाव लाने की भूमिका को पहचाना गया है. यह एक वृहद घोषणा है जिससे क्षेत्र के विकास को तेज किया जा सकेगा.
एक वेंडर के लिए 25 प्रतिशत बिक्री की सीमा से मार्केटप्लेस पर वेंडरों का आधार व्यापक हो सकेगा.
भारत का ई-कॉमर्स क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है और यह 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज कर रहा है. 2016 तक यह क्षेत्र 38 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा और इसके 2020 तक 50 अरब डॉलर के आंकड़े को छू जाने की उम्मीद है.
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