विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने 15 जनवरी 2019 को दूरदर्शन (डीडी) और प्रसार भारती के साथ मिलकर नई दिल्ली में विज्ञान संचार के क्षेत्र में दो पहलों ‘डीडी साइंस’ तथा ‘इंडिया साइंस’ की शुरुआत की.
केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इन दोनों महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत करते हुए कहा कि यह न केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार, बल्कि हमारे समाज की वैज्ञानिक सोच विकसित करने के क्षेत्र में भी एक ऐतिहासिक पल है.
मंत्री ने कहा कि भारत की सार्वजनिक प्रसारण सेवा दूरदर्शन द्वारा नब्बे के दशक में पल्स पोलियो अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी. भारत की 92 प्रतिशत से भी अधिक आबादी तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने वाला दूरदर्शन विज्ञान की लोकप्रियता बढ़ाने की दृष्टि से एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम साबित होगा.
उद्देश्य:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और दूरदर्शन का उद्देश्य मानवता की सेवा के लिए देश में इनकी सार्थकता ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना तथा विज्ञान को और आगे ले जाना है. डॉ. हर्षवर्धन ने उम्मीद जताई कि निकट भविष्य में देश में चौबीसों घंटे चलने वाले ‘डीडी साइंस चैनल’ का शुभारंभ होगा.
डीडी साइंस: डीडी साइंस दरअसल दूरदर्शन न्यूज चैनल पर एक घंटे का स्लॉट है. इसका प्रसारण सोमवार से शनिवार तक सायं 05:00 बजे से सायं 06:00 बजे तक किया जाएगा. इंडिया साइंस: इंडिया साइंस इंटरनेट आधारित चैनल है, जो किसी भी इंटरनेट आधारित उपकरण पर उपलब्ध है और यह मांग पर निर्धारित वीडियो लाइव उपलब्ध कराएगा. इंडिया साइंस चैनल को किसी भी स्मार्ट फोन या इंटरनेट कनेक्शन वाले स्मार्ट टीवी व कंप्यूटर पर देखा जा सकेगा. |
मुख्य तथ्य:
• विज्ञान संचार से जुड़े दो प्लेटफॉर्म विज्ञान को बढ़ावा देने और इसे रोजमर्रा की जिंदगी के करीब लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर की गई पहल के रूप में है.
• विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने इन चैनलों की परिकल्पना करने के साथ-साथ इन्हें मूर्तरूप देने में काफी सहयोग प्रदान किया है.
• इन दोनों चैनलों के जरिये विज्ञान आधारित वृत्तचित्र, स्टूडियो-आधारित परिचर्चाओं एवं वैज्ञानिक संस्थानों के आभासी पूर्वाभ्यास, साक्षात्कार और लघु फिल्मों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. ये दर्शकों के लिए पूरी तरह से नि:शुल्क होंगे.
• इनका कार्यान्वयन एवं प्रबंधन विज्ञान प्रसार द्वारा किया जा रहा है, जो डीएसटी का एक स्वायत्त संगठन है.
पृष्ठभूमि:
भारत में विज्ञान संचार के इतिहास में मील का पत्थर माने जाने वाले ये दोनों विज्ञान चैनल देश में एक राष्ट्रीय विज्ञान चैनल का आगाज करने की दिशा में आरंभिक कदम हैं. जहां एक ओर इंडिया साइंस ने पहले से ही चौबीसों घंटे वाली अपनी मौजूदगी दर्ज करा रखी है, वहीं दूसरी ओर डीडी साइंस को भी भविष्य में एक पूर्ण चैनल में तब्दील किया जा सकता है.
वर्ष 2030 तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शीर्ष तीन देशों में शुमार होना होगा और इस तरह की पहल इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास हैं. दूरदर्शन देश में तीन करोड़ से ज्यादा घरों तक पहुंच चुका है और विज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए यह एक प्रभावी माध्यम होगा.
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