भारत सरकार ने 18 दिसंबर, 2020 को देश के तेल आयात बिल के साथ-साथ वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए E20 ईंधन को ऑटोमोबाइल ईंधन के रूप में अपनाने का प्रस्ताव रखा है. यह E20 ईंधन 20% इथेनॉल और गैसोलीन (पेट्रोल) का मिश्रण है.
सड़क और परिवहन मंत्रालय द्वारा एक मसौदा अधिसूचना प्रकाशित की गई है और इस ईंधन को अपनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र से टिप्पणियां भी आमंत्रित की गई हैं. वर्तमान में, इस स्वीकृति-योग्य सम्मिश्रण का स्तर इथेनॉल का 10% है, हालांकि वर्ष, 2019 में भारत केवल 5.6 प्रतिशत सम्मिश्रण पर पहुंच था.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रालय की यह अधिसूचना E-20 इस्तेमाल करने वाले वाहनों के विकास को बढ़ावा देती है. सरकार के इस कदम से हाइड्रोकार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी. इससे तेल आयात बिल को कम करने में मदद मिलेगी, विदेशी मुद्रा को बचाने के साथ-साथ ऊर्जा सुरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा.
इथेनॉल: इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क
पक्ष में तर्क
• यह एक सामान्य उप-उत्पाद है जो कृषि फ़ीडस्टॉक जैसेकि पटसन, मक्का, आलू आदि से मिलता है.
• फ्लेक्सी-ईंधन वाहनों में जैव ईंधन के रूप में इथेनॉल का उपयोग किया जा सकता है.
• फसल की रोपाई की वजह से गैसोलीन की तुलना में भी यह अधिक हरियाली प्रदान करनें में मददगार है और मकई की फसल बढ़ते हुए वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती है.
• भले ही ईंधन जलाए जाने पर C02 जारी करेगा, लेकिन शुद्ध वृद्धि तुलनात्मक रूप से कम होगी.
विपक्ष में तर्क
• यह ईंधन के तौर पर कम सक्षम है, इसमें ऊर्जा से भरपूर डीजल और गैसोलीन की तुलना में ऊर्जा की मात्रा भी कम होती है.
• जलाए जाने पर इथेनॉल कम बिजली देता है, जिसके परिणामस्वरूप इसके उपयोग से कम लाभ और अधिक ईंधन की खपत होती है.
• E15 से अधिक का मिश्रण पुराने वाहनों के लिए हानिकारक है क्योंकि अल्कोहल पुराने रबर सील को तोड़ देती है और इंजन को नुकसान पहुंचा सकती है.
इथेनॉल के लिए वाहन अनुकूलता
इस मंत्रालय के अनुसार, इथेनॉल मिश्रण के प्रतिशत के साथ वाहनों की अनुकूलता वाहन निर्माता द्वारा परिभाषित की जाएगी. इसे एक स्टिकर के माध्यम से संबद्ध वाहन पर भी प्रदर्शित करना होगा. वर्तमान में, भारत में वर्ष, 2019 से केवल 10% इथेनॉल मिश्रण की अनुमति है.
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