केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने हेतु 25,000 करोड़ रुपये का वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) बनाने की मंजूरी दे दी है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 06 नवंबर 2019 को एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
कैबिनेट ने किफायती घरों की परियोजनाओं को प्राथमिकता ऋण प्रदान करने हेतु विशेष प्रावधान बनाने को भी मंजूरी दे दी है. निर्मला सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सरकार इस वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) में 10,000 करोड़ रुपए डालेगी जबकि शेष 15,000 करोड़ रुपए का योगदान स्टेट बैंक तथा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की ओर से किया जायेगा.
वित्त मंत्री ने कहा इस कोष से 1,600 अटकी पड़ी आवासीय परियोजनाओं हेतु धन उपलब्ध कराया जायेगा. इन परियोजनाओं में कुल मिलाकर 4.58 लाख आवासीय इकाइयां बननी हैं. यह कदम रोजगार के अवसर प्रदान करने और सीमेंट, लोहा तथा इस्पात उद्योग में मांग बढ़ाने के लिए उठाया गया है. इन परियोजनाओं के लिए एआईएफ से फंड उपलब्ध कराया जाएगा.
मुख्य बिंदु:
• वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, अहमदाबाद जैसे कई शहरों में लगभग 1600 आवास परियोजनाएं ठप हो गई हैं.
• सरकार आवास क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु एक विशेष कोष बना रही है, जिसमें सरकार 10,000 करोड़ रुपये लगा रही है. यह फंड कुल 25,000 करोड़ का होगा.
• यह फंड वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) की श्रेणी के तहत बनाया जाएगा तथा यह सेबी के साथ पंजीकृत होगा.
• वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि नकदी की तंगी से जूझ रही व्यवहारिक परियोजनाओं को ही इस कोष से धन उपलब्ध कराया जायेगा. यदि परियोजना शुरू ही नहीं हुई है तो ऐसी परियोजना को इस कोष से कोई राहत नहीं मिलेगी.
यह भी पढ़ें:राष्ट्रीय जलमार्ग -2: ब्रह्मपुत्र पर कंटेनर कार्गो अबतक की पहली आवाजाही
वैकल्पिक निवेश कोष क्या है?
वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) मूल रूप से पूर्वनिर्धारित नीतियों के मुताबिक निवेश के लिए भारतीय एवं विदेशी निवेशकों से पूंजी संयोजन के उद्देश्य से भारत में स्थापित किया गया था. सेबी के दिशानिर्देशों के अंतर्गत, एआईएफ मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में काम कर सकते हैं. सेबी के नियम सभी एएफआई जिसमें अन्य फंड्स के अतिरिक्त निजी इक्विटी फंड, रीयल स्टेट फंड तथा हेज फंड के तौर पर संचालन करने वाले सभी पर लागू होगें.
बिल्डर को परियोजना के तहत सीधे धन नहीं दिया जायेगा बल्कि एक अलग खाते (एस्क्रो) में धन रखा जायेग. इस धन पर गठित विशेषज्ञ समिति की नजर रहेगी. समिति सुनिश्चित करेगी कि यह धन केवल परियोजनाओं को पूरा करने में ही लगे. निर्माण कार्य जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा वैसे ही राशि जारी की जायेगी.
यह भी पढ़ें:एनजीटी ने निर्माण पर पाबंदी से प्रभावित मजदूरों के लिए भत्ते की सिफारिश की
Comments
All Comments (0)
Join the conversation