भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2017 में प्रायद्वीपीय भारत में मौजूद समुद्र तटीय क्षेत्रों में पानी के नीचे खनिज संपदा की मौजूदगी की खोज की.
शोधकर्ताओं ने पाया कि भारतीय प्रायद्वीप क्षेत्र में लाखों टन कीमती धातुओं और खनिजों की मौजूदगी है. इस क्षेत्र में पहली बार वर्ष 2014 में मंगलुरु, चेन्नै, मन्नार बसीन, अंडमान और निकोबार द्वीप और लक्षद्वीप के समुद्री संसाधनों को पहचाना गया था.
वैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुख्य बिंदु
• वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लाइम मड, फोसफेट-रिच और हाइड्रोकार्बन्स की उपस्थिति की खोज की है.
• भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने 181,025 वर्ग किमी का हाई रेजॉल्यूशन सीबेड मोरफोलॉजिकल डेटा तैयार किया है.
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• सर्वेक्षण द्वारा इस क्षेत्र में 10 हजार मिलियन टन लाइम मड के होने की बात कही है.
• इस खोज में तीन अत्याधुनिक अनुसंधान जहाज समुद्र रत्नाकर, समुद्र कौसतुभ और समुद्र सौदीकामा की सहायता ली गयी.
इसका उद्देश्य मिनरलाइजेशन के संभावित इलाकों की पहचान करना और मरीन मिनरल सांसधनों का आकलन करना है.
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत सरकार के खनन मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक संगठन है. इसकी स्थापना 1851 में हुई थी. इसका कार्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन करना है. यह इस प्रकार के विश्व के सबसे पुराने संगठनों मे से एक है. इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है. इसकी स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पूर्वी क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता की खोज एवं अध्ययन करने हेतु की थी.
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