गुजरात के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पदम श्री से सम्मानित सितांशु यशश्चंद्र को 22 जनवरी 2019 को वर्ष 2017 के प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान से नवाज़ा गया है. के.के बिरला फाउंडेशन द्वारा जारी जानकारी में बताया गया कि यशश्चंद्र को उनके काव्य संग्रह ‘वखार’ के लिए सरस्वती सम्मान दिया गया है.
उन्हें दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में मशहूर गीतकार गुलज़ार द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यशश्चंद को पुरस्कार के रूप में 15 लाख रुपये, प्रतीक चिह्न और प्रशस्ति पत्र दिया गया.
सितांशु यशश्चंद्र
• गुजरात के भुज में 18 अगस्त 1941 को जन्मे यशश्चंद्र को 1987 में उनके काव्य संग्रह ‘जटायु’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
• इसके अलावा उन्हें 2006 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से अलंकृत किया गया था.
• उन्हें 1998 में कवि सम्मान और 1996 में राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार मिल चुका है.
• यशचंद्र की कविता संग्रह, नाटक और आलोचना की पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं.
• उन्होंने गुजराती और संस्कृत भाषा में स्नातक किया है. वह सौराष्ट विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे हैं.
• वह गुजराती के प्रसिद्ध कवि के अलावा जाने माने नाटककार और आलोचना भी हैं. वह मुंबई विश्विद्यालय गुजरात विश्वविद्यालय तथा जादवपुर विश्विद्यालय में प्राध्यापक भी रहे हैं.
सरस्वती सम्मान
• के.के बिरला फाउंडेशन ने 1991 में सरस्वती सम्मान की स्थापना की थी.
• पहला पुरस्कार दिवंगत हरिवंश राय बच्चन को दिया गया था.
• अब तक इस पुरस्कार को पाने वालों में विजय तेंदुलकर, सुनील गंगोपाध्याय, एम. विरप्पा मोइली, गोविंद मिश्र जैसे प्रमुख लोग शामिल रहे हैं.
• वर्ष 2016 में कोंकणी के जाने-माने साहित्यकार महाबलेश्वर सेल को उनके उपन्यास ‘हाउटन’ के लिए सरस्वती सम्मान दिया गया था.
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